घर में एक मंजिल से दूसरी मंजिल पर जाने के लिए इस्तेमाल सीढ़ियों का वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है | सामान्यतया लोग इसे भी घर के निर्माण के वक्त किचन, बाथरूम, स्टोर रूम की तरह नजरअंदाज कर देते है और इसका निर्माण अक्सर घर में जगह बचाने के नजरिये से किया जाता है |
वास्तु में देखा गया है कि गलत दिशा में सीढ़ियों का निर्माण कई तरह के अशुभ परिणाम लेकर आता है जैसे कि बार-बार होने वाली दुर्घटनाएं, आर्थिक हानि, सम्पति का नुकसान, शारीरिक और मानसिक समस्याएं | हालाँकि ऐसा नहीं है कि सीढियां सिर्फ हानि ही करती है |
अगर इनका निर्माण वास्तु सम्मत तरीके से किया जाए तो ये कई तरह के लाभ भी देती है | तो आइये जानते है कि सीढ़ियों के लिए किस तरह का वास्तु होना चाहिए |
सीढ़ियों का निर्माण करते समय वास्तु के निम्न सिद्धांतों का पालन करें –
1- दक्षिण दिशा में सीढियां बनायीं जा सकती है (अंदर की तरफ) |
2- नैऋत्य और पूर्वी आग्नेय भी सीढ़ियों के लिए एक विकल्प है (बाहर की ओर) |
3- उत्तरी वायव्य में अंदर और बाहर दोनों ही तरफ सीढ़ियों का निर्माण कर सकते है |
4- सीढ़ियां सदैव दक्षिण या पश्चिम की ओर चढ़नी चाहिए |
5- सीढियां उत्तर या पूर्व की तरफ उतरनी चाहिए |
6- सीढ़ियों के प्रारंभ और अंत में द्वार होना चाहिए |
7- सीढियां क्लॉकवाइज यानि कि दक्षिणावर्त (बाई से दाहिनी ओर) घुमनी चाहिए | अतः सीढियों का पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर या उत्तर से पूर्व की ओर घूमना सर्वश्रेष्ठ होता है|
8- सीढ़ियों की संख्या विषम हो | सीढ़ियों की संख्या में 3 से भाग देने पर शेषफल 2 आये (जैसे कि – 5, 11, 17) तो ऐसी सीढ़ियां वास्तु सम्मत होती है |
9- सीढ़ियों का और उसकी दीवारों का रंग हल्का ही रखे |
10- सीढ़ियों के नीचे का हिस्सा छोटा-मोटा सामान रखने के लिए प्रयुक्त कर सकते है |
सीढ़ियों के निर्माण में निम्न सावधानियां रखने की आवश्यकता होती है –
1- ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण वास्तु में पूर्णतः निषिद्ध है |
2- ब्रह्मस्थान में सीढियां बनाना भी वास्तु शास्त्र में सर्वथा वर्जित है |
3- इसके अलावा उत्तर दिशा व पूर्व दिशा में भी सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए |
4- ऊपर जाने वाली सीढ़ियां और बेसमेंट में जाने वाली सीढियां एक साथ नहीं होनी चाहिए | दोनों का निर्माण अलग-अलग स्थान पर हो |
5- सीढियां किसी भी प्रकार के कमरे से ना तो शुरू हो और ना ही समाप्त |
6- सीढ़ियों के नीचे पूजास्थल, शौचालय या अन्य किसी कमरे का निर्माण ना कराये |
7- सीढ़ियों के नीचे कैश लॉकर (तिजोरी) ना रखे |
8- सीढ़ियों की संख्या में 10 का भाग नहीं जाना चाहिए | यानि की सीढ़ियों की संख्या 10, 20, 30 इत्यादि ना रखे |
9- सीढ़ियों को टूटी-फूटी हालत में ना रखे | ऐसा होने पर उन्हें तुरंत ठीक करावे |
10- सर्पिलाकार सीढियों का निर्माण ना करे |
11- यद्यपि आप आग्नेय और वायव्य में सीढियां बना सकते है लेकिन ये घर में रह रहे बच्चो के स्वास्थ्य पर थोडा नकारात्मक असर डाल सकती है |
वास्तु शास्त्र सम्मत सीढियां बनाने के लाभ –
1- मानसिक शांति
2- आर्थिक लाभ और सम्पन्नता
3- अच्छा स्वास्थ्य
4- घर में सकारात्मक माहौल और दुसरे अनेक लाभ
वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के विपरीत सीढियां बनाने से होने वाली हानि –
1- आर्थिक हानि
2- बड़ी दुर्घटनायें
3- मानसिक तनाव
4- न्यूरोलोजिकल डिसऑर्डर्स
5- घुटनों से सम्बंधित समस्यायें
6- पारिवारिक झगडे
7- रीढ़ की हड्डी से समबन्धित समस्यायें इत्यादि
इसके लाभ और हानियों को देखते हुए सीढियों के वास्तु सम्मत निर्माण पर पूरा ध्यान दे | ऐसा होने पर आप जहाँ इसके गलत दिशा में स्थित होने पर होने वाले नुकसान से तो बचेंगे ही बल्कि आपको अन्य कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होंगे |