दक्षिणमुखी घर वास्तु विरोधी होते है यह एक बहुत बड़ी और प्रचलित गलतफहमी है| यह एक आम धारणा बन गई है कि अगर किसी व्यक्ति का घर दक्षिणमुखी है तो उसे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा|
यह धारणा हर लिहाज से अनुचित है| क्योंकि जब आप ध्यान देंगे तो पायेंगे कि दक्षिणमुखी घरों में निवास कर रहे बहुत से लोग समृद्धि भी प्राप्त करते है और खुशहाली भरा जीवन भी जीते है|
बल्कि हकीकत में तो कई बड़े व्यापारियों और प्रसिद्ध शख्सियतों ने भी दक्षिणमुखी घरों में निवास करके सफलता हासिल करी है| यानी कि वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए भवन निर्माण किया जाए तो दक्षिणमुखी घर भी बहुत शुभ और लाभदायक सिद्ध हो सकते है|
इस दिशा में बने भवन भी आपको चमत्कारिक रूप से आर्थिक सम्पन्नता, प्रसिद्धि और अन्य कई लाभ प्रदान करते है|
अगर आप भी दक्षिणमुखी घर में निवास करते है या ऐसा कोई घर खरीदने जा रहे है तो घबराने की आवश्यकता बिलकुल भी नहीं है| आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि आपका घर वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करता हो|
दक्षिणमुखी घरों के बारें में प्रचलित भ्रम और उसके कारण-
[South facing house myths and logic behind them]
अब सवाल यह नहीं है कि दक्षिणमुखी घरों के बारे में निर्मित धारणा सही है या गलत| सवाल तो यह है कि आखिर सर्वाधिक गर्मी और प्रकाश प्रदान करने वाली दक्षिण दिशा के बारे में ऐसी धारणा बनी ही क्यों?
दरअसल इस प्रकार की मानसिकता के निर्मित होने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है| वह कारण यह है कि दक्षिण दिशा की ओर देखते भूखंडों पर वास्तु सम्मत घर शुभ तो निश्चित ही होते है लेकिन ऐसे घरों का निर्माण थोडा मुश्किल होता है|
चूँकि वर्तमान में भूखंडों के आकार भी काफी छोटे होते है ऐसे में यह और भी अधिक मुश्किल हो जाता है कि वास्तु सम्मत दक्षिणमुखी घर मिल जाए या ऐसा मकान आप निर्मित कर पाए|
इसीलिए इस तरह के भूखंड पर जिन लोगो के घर स्थित होते है वे तुलनात्मक रूप से जीवन में अधिक संघर्ष और मुश्किलों का सामना करते है|
लेकिन ऐसा इस कारण नहीं होता की यह दिशा अशुभ होती है, बल्कि इसका मूल कारण होता है कि इस दिशा में निर्माण के वक्त गलती करने की गुंजाईश अधिक होती है|
और उससे बचने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमो की सहायता नहीं ली जाती है| परिणामस्वरूप नकारात्मक नतीजे भुगतने पड़ते है|
यानी कि आवश्यकता है तो सिर्फ इस बात की कि आपको घर बनाते वक्त अन्य किसी भी दिशा की अपेक्षा दक्षिणमुखी भूखंड में अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी
दक्षिणमुखी घरों को भी वास्तु सम्मत बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम होते है जिनका अध्ययन आप इस लेख में कर पायेंगे|
आप इस लेख में निम्न चीज़ों को जानेंगे–
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दक्षिण मुखी घर वह होता है जिसके मुख्य द्वार से बाहर निकलते वक्त जब आपको दक्षिण दिशा आपके सामने नजर आये|
दक्षिण दिशा आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) के बीच में स्थित दिशा है| यह वास्तु कंपास में 169° से 191° के बीच स्थित होती है|
गौर करने वाली बात है कि दक्षिण दिशा का स्वामी ग्रह मंगल काल पुरुष की कुंडली में मेष [प्रथम भाव] और वृश्चिक [अष्टम भाव] राशियों का स्वामी ग्रह है|
दक्षिण दिशा का स्वामी ग्रह- मंगल
दक्षिण दिशा के स्वामी- यम
घर की दिशा का पता लगाना -
घर की दिशा पता लगाने का एक आसान सा उपाय है|
जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो सड़क घर के दक्षिण दिशा में स्थित हो तो आपका घर दक्षिणमुखी कहलाता है |
हालाँकि यह सामान्य तरीका आपके घर की अवस्थिति का अनुमान ही लगा पाता है| परन्तु बिलकुल सटीक रूप से डिग्री सहित आपको अपने घर की दिशा पता करनी है तो उसके लिए आपको वास्तु कंपास की सहायता लेनी होगी|
वास्तु कम्पास से आसानी से घर की सटीक दिशा जानने के लिए आप यह आर्टिकल भी पढ़ सकते है-@FindingHouseFacing
जैसा की आपको बताया गया है की दक्षिणमुखी घर में निर्माण के समय चूक होने की आशंका बढ़ जाती है तो उसका एक उदाहरण हमें मुख्य द्वार के चयन में भी देखने को मिलता है|
इस दिशा में भी अन्य दिशाओं की तरह 8 पद या भाग होते है| लेकिन इनमे से केवल दो ही भाग ऐसे होते है जिसमे मुख्य द्वार का निर्माण शुभ होता है| अन्य पदों या द्वारों में मुख्य द्वार बनाने का परिणाम बहुत नकारात्मक सिद्ध हो सकता है|
तो ऐसे में स्वाभाविक रूप से अधिक सावधानी और कुशलता की जरुरत पड़ती है| क्योंकि इस दिशा में स्थित पदों में गलत स्थान पर निर्मित मुख्य द्वार अन्य दिशाओं के पदों या द्वारों की अपेक्षा नकारात्मक परिणाम भी अधिक देता है|
गौरतलब है कि वास्तु के अनुसार किसी भी भूखंड को 32 बराबर भागो या पदों में विभाजित किया जाता है| प्रत्येक दिशा (उत्तर, पूर्व, दक्षिण, पश्चिम) में 8 भाग या पद मौजूद होते है| किसी भी घर के मुख्य द्वार का निर्माण इन्ही 32 पदों में से किसी एक या अधिक पदों के अंदर होता है| इनमे से कुछ पद मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए शुभ होते है कुछ अशुभ|
दक्षिण दिशा के लाभदायक पद-
दक्षिण दिशा का तीसरा और विशेष तौर पर चौथा पद बेहद लाभदायक होता है जो कि इस प्रकार है-
-वितथ (S3)
-गृहरक्षित (S4)
जैसा कि आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते है कि दोनों ही शुभ पदों को दक्षिण दिशा में पिंक कलर में दर्शाया गया है और कम्पास में उनकी अवस्थिति को जानने के लिए साथ में डिग्रीज भी लिखी गई है|
गृहरक्षित में स्थित द्वार धन तो देता ही है साथ ही प्रसिद्धि भी प्रदान करता है| लेकिन 8 पदों में से गृहरक्षिता नामक पद पर मुख्य द्वार बनाना तभी संभव होता है जब घर की चौड़ाई अधिक हो|
उदाहरण के लिए अगर आप की घर की चौड़ाई 40 फीट है और इसे आप जब बराबर 8 भागों में विभाजित करते है तो एक भाग की चौड़ाई 5 फीट आती है| लेकिन आप अपना मुख्य द्वार 5 फीट से अधिक चौड़ा रखना चाहते है तो गृहरक्षित का पद छोटा पड़ जाएगा| परिणामस्वरूप यह उतना लाभदायक नहीं रहेगा|
वास्तु सम्मत दक्षिण मुखी घर एक व्यक्ति के लिए कई प्रकार से लाभदायक हो सकता है| जैसे कि-
-यह व्यक्ति को प्रसिद्धि और पहचान दिलाता है|
-यह आश्चर्यजनक रूप से समृद्धि भी प्रदान करता है|
-यह द्वार आपको मेहनत के द्वारा सफलता प्रदान करता है|
हालाँकि यह लाभ आपको तभी मिलते है जब आपके घर के निम्न चीजें वास्तु सम्मत रूप से निर्मित हो-
-आपके घर का मुख्य द्वार S-3 या S-4 में स्थित हो|
-आपके सोने का स्थान उचित दिशा में हो|
-टॉयलेट जैसे संवेदनशील निर्माण और अन्य कमरे वास्तु नियमों के विरुद्ध न हो
-घर में स्थित महत्वपूर्ण वस्तुएं और दीवारों के रंग वास्तु के अनुरूप हो|
इत्यादि चीजें सामान्यतया बिलकुल वास्तु सम्मत मिलना बहुत मुश्किल होता है| ऐसे में आपकी कोशिश अधिकतम चीजें ठीक स्थान पर निर्मित करने की होनी चाहिए| लेकिन अगर किसी कारणवश ऐसा ना हो पाए तो उस संबंध में जरुरी वास्तु रेमेडी कर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है|
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घर का ढलान-
घर में प्रयुक्त जल का बहाव दक्षिण से उत्तर की ओर हो और अगर ऐसा संभव ना हो तो बहाव को पूर्व की ओर भी रखा जा सकता है| इस प्रकार की व्यवस्था मकान में निवास कर रहे पुरुषों को स्वास्थ्य लाभ का साथ यश भी प्रदान करता है|
दिशाओं के अनुसार दीवारों की ऊंचाई-
दक्षिण और पश्चिम की दीवारें उत्तर व पूर्व की दीवारों से अधिक चौड़ी रखे| इसके अलावा दक्षिण व पश्चिम की दीवारों की मोटाई भी तुलनात्मक रूप से अधिक ही रखी जानी चाहिए|
दिशाओं के अनुसार खाली स्थान की व्यवस्था-
दक्षिण दिशा को अधिक खाली नहीं रखना चाहिए| हालाँकि अगर घर दक्षिणमुखी हो तो सामान्यतया दक्षिण का काफी हिस्सा खाली छोड़ना पड़ जाता है| ऐसे में कोशिश यह करें कि कम से कम नैऋत्य दिशा को तो ज्यादा खाली न छोड़े|
दक्षिणमुखी घर में किचन का निर्माण-
दक्षिण दिशा स्वयं अग्नि तत्व की दिशा है तो ठीक इसी दिशा में भी किचन बनाई जा सकती है| लेकिन यह संभव न होने पर आग्नेय दिशा [दक्षिण-पूर्व] में बनी रसोई बहुत फलदायी होगी| आग्नेय दिशा इस संबंध में एक आदर्श दिशा के रूप में भी जानी जाती है| इसके अतिरिक्त आप वायव्य में भी रसोईघर बना सकते है|
खाना बनाते वक्त किस ओर मुंह रखना चाहिए?
खाना बनाते वक्त मुंह पूर्व में (आग्नेय में स्थित किचन में) या फिर पश्चिम (वायव्य में स्थित किचन में) रखा जा सकता है|
दक्षिणमुखी घर में मास्टर बेडरूम कहां पर बनाये?
अक्सर मास्टर बेडरूम का निर्माण घर के पीछे वाले हिस्से में किया जाता है| लेकिन मास्टर बेडरूम के निर्माण के लिए उत्तर में स्थित दिशाएं सर्वोत्तम नहीं होती है| अगर नैऋत्य में मास्टर बेडरूम का निर्माण संभव न हो तो आप पश्चिम दिशा में भी बेडरूम बना सकते है| यह मास्टर बेडरूम के लिहाज से उत्तम दिशा है|
पूजा स्थल का निर्माण कौनसी दिशा में करना चाहिए?
परंपरागत रूप से ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण [उत्तर-पूर्व] में पूजा स्थल बनाया जा सकता है| यह स्थान पवित्र अवश्य है लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है कि पूजा स्थल भी इसी स्थान पर बनाया जाए| ठीक ईशान कोण की जगह आप पूर्वी ईशान यानी कि पूर्व-उत्तर-पूर्व दिशा में भी पूजा करने के लिए स्थान की व्यवस्था कर सकते है| यह इस संबंध में उत्तम दिशा है|
अतिथि कक्ष का निर्माण कहां पर करें-
अतिथि कक्ष का निर्माण घर के अग्रिम भाग में ही किया जाता है| और दक्षिणमुखी घर में इस लिहाज से स्वयं दक्षिण दिशा बहुत अच्छी दिशा है| आपके बैठने के लिए लगने वाले सोफे या कुर्सियां इत्यादि दक्षिण दिशा में रखी जा सकती है| इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम में भी बैठक बनायी जा सकती है| लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में अतिथियों के सोने के लिए बेडरूम बनाना उचित नहीं माना जाता है|
1-
दक्षिण दिशा में जल के स्त्रोत का निर्माण करना वास्तु दोष माना जाता है| यहां पर बना अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार नुकसानदेह होता है| विशेष तौर पर अगर अंडरग्राउंड वाटर टैंक दक्षिण-पश्चिम दिशा या दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित हो तो यह उस घर के निवासियों की सेहत और आर्थिक परिस्थितियों पर विपरीत प्रभाव डालता है|
2-
दक्षिण की तीन दिशाएं [दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण] किचन बनाने के लिए बहुत अनुकूल है| लेकिन अगर किचन दक्षिण-पश्चिम में बनी हो तो इसका नकारात्मक असर घर की महिलाओं पर पड़ता है| पारिवारिक रिलेशनशिप के लिहाज से भी किचन का दक्षिण-पश्चिम में स्थित होना ठीक नहीं माना जाता है|
3-
दक्षिण दिशा में जमीन के अंदर किसी भी संरचना का निर्माण नहीं करवाना चाहिए| उदाहरण के लिए किसी भी प्रकार का गड्ढा, कुआँ, बोरवेल, अंडरग्राउंड वाटर टैंक, सेप्टिक टैंक इस दिशा में नहीं होना चाहिए अन्यथा यह बड़ी दुर्घटनाओं और धन संबंधी समस्याओं का कारण बन जाता है|
4-
नैऋत्यमुखी द्वार का निर्माण किसी भी हालत में नहीं करवाए| ये बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है| नैऋत्यमुखी द्वार गंभीर व असाध्य रोग और सामाजिक रूप से नुकसान पहुँचाने वाला और आर्थिक मुसीबतें देने वाला होता है| विशेष रूप से S-6 और S-7 के द्वार को थीं नहीं माना जाता है| इसी वास्तु रेमेडी भी बहुत अधिक प्रभावी नहीं होती है|
5-
दक्षिणमुखी घर का द्वार आग्नेयमुखी ना हो| क्योंकि आग्नेयमुखी द्वार इस घर के निवासियों को चोरी के भय के साथ-साथ कानूनी वाद-विवादों में उलझा देता है| साथ ही ऐसा द्वार अग्नि सम्बन्धी विपदाओं का कारण भी बन सकता है|
6-
ब्रह्मस्थान में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं करे, इसे पुर्णतः खुला छोड़े| इस स्थान पर किसी भी प्रकार का निर्माण बड़े वास्तु दोष को जन्म देता है|
7-
दक्षिण-पश्चिम का कटा हुआ या बढ़ा हुआ होना अशुभ माना जाता है| अतः ऐसे भूखंड नहीं खरीदे जिनमे इस प्रकार की कोई दिक्कत हो| और अगर ऐसे भूखंड में आप निवास कर रहे है तो इस संबंध में वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेकर उचित समाधान भी कर सकते है|
घर बनाते वक्त अनजाने में ही कई प्रकार के वास्तु दोष निर्मित हो जाते है जिससे घर के निवासियों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है|
ऐसी परिस्थिति में वास्तु शास्त्र की सहायता से घर में उपस्थित वास्तु दोषों को दूर कर समस्याओं से निजत पाया जा सकता है| कुछ ऐसे उपाय है जिन्हें वास्तु विशेषज्ञ की सहायता से ही अपनाना चाहिए|
परन्तु अगर आप वास्तु की एक अच्छी समझ रखते है तो आप स्वयं भी निम्न सामान्य उपाय कर सकते है-
1-यदि दक्षिण-पश्चिम का क्षेत्र बढ़ा हुआ हो तो इसे काटकर शेष क्षेत्र को आयताकार या वर्गाकार बनाएं| कटे हुए भाग का किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग किया जा सकता है|
2-दक्षिण मुखी घरों में पूर्व व उत्तर में खाली जगह ज्यादा नहीं छोड़ सकते है तो फिर आप पूर्व व उत्तर में खिडकियों और रोशनदानों के लिए पर्याप्त स्थान अवश्य निकालें| इन दिशाओं में स्थिति गैलरी में हरियाली के लिए पौधे अवश्य लगायें| पूर्व की दीवार पर हरियाली से जुडी पेंटिंग्स भी लगा सकते है|
3-चूँकि दक्षिणमुखी घरों में सामान्यतया अधिक गर्मी रहती है तो आप घर के अंदर हल्के रंगों का प्रयोग करें| ज्यादा गहरे रंग नकारात्मक वातावरण निर्मित कर देते है|
प्रत्येक दिशा का संबंध विशेष प्रकार की उर्जाओं, तत्वों और ग्रहों से होता है| इन्ही के आधार पर यह तय किया गया है कि किस विशेष व्यवसाय या नौकरी से जुड़े व्यक्ति के लिए कौनसी दिशा वाला घर ज्यादा लाभदायक होगा| दक्षिणमुखी घर भी कुछ विशेष लोगों के लिए सफलता प्रदान करने वाला होता है| वे व्यवसाय या काम कुछ इस प्रकार है-
-पुलिस या आर्मी के लोगों के लिए
-मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों [अभिनेता, गायक इत्यादि] के लिए
-प्रॉपर्टी के व्यवसायियों के लिए
-मेडिकल प्रोफेशन [डॉक्टर, नर्स इत्यादि] से जुड़े लोगों के लिए भी यह अच्छे परिणाम प्रदान करने वाली दिशा है|
सवाल: क्या दक्षिण मुखी घर अशुभ होते है?
उत्तर: नहीं, दक्षिण मुखी घर भी बहुत शुभ होते है| आवश्यकता सिर्फ इस बात कि है की वास्तु के नियमों का थोडा ज्यादा सावधानी के साथ पालन करने की आवश्यकता होती है|
सवाल: यह कैसे पता लगायें की मेरे दक्षिणमुखी घर का वास्तु सही है?
उत्तर: इसका पता लगाने का सीधा सा उपाय है| आपके घर में अगर किसी भी प्रकार की समस्या आ रही है, जैसे कि धन से जुडी या स्वास्थ्य संबंधी इत्यादि, तो इस बात की पूरी संभावना है की कोई वास्तु दोष आपके घर में इन समस्याओं का कारण बन रहा है|
सवाल: वास्तु के अनुसार दक्षिणमुखी घर में सबसे अधिक किस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए?
उत्तर: सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है घर का मुख्य द्वार| इसका सही स्थान पर निर्मित होना बहुत आवश्यक होता है| इसके अलावा टॉयलेट उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं बना हो इसके प्रति भी थोड़ी सावधानी रखनी आवश्यक है|
निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि दक्षिणमुखी घर भी अन्य दिशाओं के समान ही लाभदायक या नुकसान प्रदान करने वाला हो सकता है| यदि दक्षिणमुखी घर का निर्माण वास्तु सम्मत तरीके से किया जाए तो यह घर के निवासियों के लिए धन और मान-सम्मान लाता है|
हालाँकि दक्षिणमुखी भूखंड पर निर्माण के वक्त थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है| अतः किसी वास्तु विशेषज्ञ की सहायता से ही इस प्रकार के भूखंड पर निर्माण कार्य करें तो अधिक बेहतर होगा|
EXPECT MIRACLES!
Ashok Kumar Sahni
बहुत अच्छी जानकारी मिली।
Rajesh Gupta
अकसर वास्तु शास्त्री दक्षिण के घरों को नकरात्मक बताते हैं।पर आप द्वारा दी जानकारी अनुसार दक्षिण मुखी घर में पैदा किए गए भ्रम कम होंगे।
Sanju jain
बहुत अच्छा आर्टिकल 👏 . एक प्रश्न - क्या balcony में भगवान का मंदिर बना साइट हैं ?
Awadhesh kumar jha
Good
Awadhesh kumar jha
Good