यह 16 वास्तु ज़ोन्स पर लिखे गए आर्टिकल का दूसरा पार्ट है जिसमे 7 वें जोन से लेकर 16 वे जोन तक के बारे में जानकारी दी गई है |
7- दक्षिण दिशा (SOUTH) –
अवस्थिति –
दक्षिण दिशा का विस्तार 169° डिग्री से 191° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
दक्षिण का उर्जा क्षेत्र तनावमुक्त करने वाली उर्जाओं का स्थान है | वास्तु अनुकूल दक्षिण में उपस्थित प्राकृतिक उर्जायें व्यक्ति को तनावभरी जिंदगी से राहत देने का कार्य करता है | इस क्षेत्र की उर्जा आपको आराम देने के साथ उर्जावान तो बनाती ही है साथ ही यह आपको समाज में प्रतिष्ठा, यश और पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका भी निभाती है | [ दक्षिण मुखी घर के वास्तु टिप्स जानने के लिए इस लिंक पर Click करे - @South-Facing-House ]
जैसा कि आपको पहले बताया गया था कि पूर्व दिशा सामाजिक संपर्कों का दायरा बढ़ाने में महत्वपूर्ण होती है तो वही यह दक्षिण दिशा आपके उन संपर्को व उसके अतिरिक्त भी एक बडे दायरे में आपको ख्याति दिलवाती है |
अगर आप किसी वास्तु विशेष का व्यापार करते है या आप ऐसे व्यवसाय में संलग्न है जिसमे ब्रांडिंग की आवश्यकता है तो निश्चित ही आपको दक्षिण दिशा में सकारात्मक उर्जाओं का प्रवाहमान होना आवश्यक है | यह आपके ग्राहकों में आपके व आपके प्रोडक्ट के प्रति विश्वास कायम करने में मददगार साबित होगा |
इसके अलावा अगर आपको जीवन में आरामदायक व शांतिपूर्ण जीवन की कमी महसूस होती है या फिर की आपको प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि हासिल करनी है तो आपको निश्चित ही दक्षिण दिशा के वास्तु को अनुकूल रखना होगा | यह आपको आश्चर्यजनक परिणाम प्रदान करेगा |
इस दिशा में वास्तु दोष व्यक्ति को नकारात्मक विचार प्रदान करेगा और परिणामतः स्लीप डिसऑर्डर, अनिद्रा की समस्या और मानसिक तनाव का अहसास होगा |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
किसी भी घर में बेडरूम के लिए कुछ निश्चित स्थान ही लाभकारी होते है | दक्षिण दिशा उन्ही लाभकारी स्थानों में से एक है जहाँ आप अपना बेडरूम बना सकते है | विशेषतौर पर यह गृहस्वामी के लिए बेहद फायदेमंद होता है | चूँकि ध्यान में गहराई और आतंरिक शांति की आवश्यकता होती है अतः इस दिशा में ध्यान लगाने के लिए भी एक ध्यान कक्ष बनाया जा सकता है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
इस दिशा में किसी प्रकार का गड्ढा होना (अंडरग्राउंड वाटर टैंक या सेप्टिक टैंक इत्यादि) एक बड़ा वास्तु दोष होगा | इसके अलावा दक्षिण में टॉयलेट का निर्माण या दक्षिण की दीवारों पर उत्तर दिशा का ब्लू कलर कर दिया जाता है तो भी यह वास्तु के नियमो के विरुद्ध होगा |
8- दक्षिण नैऋत्य (SSW) –
अवस्थिति –
दक्षिण नैऋत्य दिशा का विस्तार 191° डिग्री से 214° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
जीवन से नकारात्मक उर्जा व अनुपयोगी व व्यर्थ की चीजों को निकाल देना चाहिए | यह एक ऐसी ही दिशा है जो आपको इसमें मदद कर सकती है |
इसे डिस्पोजल का जोन माना जाता है | वास्तु अनुसार बने होने पर यह जोन आपकी ज़िन्दगी से उन चीजों को हटा देता है जो कि आपके लिए अनुपयोगी और व्यर्थ है | लेकिन अगर इसमें वास्तु दोष की उपस्थिति है तो फिर यह आपके जीवन से धन, समय, रिश्तों का व अन्य लाभकारी चीजों के डिस्पोजल का काम करती है |
नकारात्मक दक्षिणी नैऋत्य होने पर आप अपना समय, धन और मेहनत महत्वहीन कार्यकलापों में खर्च कर देंगे और आपको कोई परिणाम भी हासिल नहीं होगा |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
चूँकि यह डिस्पोजल व अपव्यय का जोन है अतः इसमें कोई महत्पूर्ण क्रियाकलाप नहीं किया जाना चाहिए | इस स्थान पर टॉयलेट बनाया जा सकता है | इसके अलावा घर का कचरा इकठ्ठा करने के लिए डस्टबिन को भी यहाँ पर रखा जा सकता है |
हालाँकि एक बात हमेशा याद रखनी होगी कि अगर वास्तु में किसी स्थान को डस्टबिन रखने, टॉयलेट बनाने या अनुपयोगी सामान रखने के लिए निर्धारित किया गया है तो इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं है कि आप इस दिशा को बहुत अव्यवस्थित कर कचरे से भर दे | जितना आप घर को व्यवस्थित और सुंदर रखेंगे आपके घर में उसी प्रकार से सकारात्मक उर्जायें विद्यमान रहेगी | अतः डिस्पोजल वाले जोन को भी यथासंभव साफ-सुथरा रखने की कोशिश करे |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
दक्षिणी नैऋत्य में बेडरूम बनाना, स्टडी रूम का निर्माण या किचन की अवस्थिति वास्तु सम्मत नहीं होगी | इस दिशा में आप अपने किसी परिवार के सदस्य की फोटो भी नहीं लगाये तो बेहतर होगा |
9- नैऋत्य दिशा (SW) –
अवस्थिति –
नैऋत्य दिशा का विस्तार 214° डिग्री से 236° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
इस स्थान की उर्जा तीन चीजो का निर्धारण करती है | पहली – परिवार में आपके रिश्तेदारों, आपके परिचितों और व्यापार या व्यवसाय में आपके ग्राहकों से आपके संबंधों की स्थिति | दूसरी – आपके अंदर किसी कार्य को करने के लिए विद्यमान दक्षता (Skills) | तीसरी – आपके जीवन में स्थायित्व की मात्रा | इन तीनों चीज़ों का निर्धारण नैऋत्य दिशा में उपस्थित उर्जा करती है |
अगर आपके सम्बन्ध आपके क्लाइंट्स या ग्राहकों के साथ ख़राब रहते है या आपके रिश्तेदारों और परिवार से आपका निरंतर विवाद रहता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपके घर की नैऋत्य दिशा में कोई दोष उपस्थित है |
ऐसे में इन सभी विवादों और झगड़ो से छुटकारा पाने के लिए तथा अपने कार्य में दक्षता बढाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में उर्जाओं का संतुलन बनाकर रखे |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
नैऋत्य दिशा में विद्यमान पृथ्वी तत्व के चलते इस दिशा में स्थायित्व का गुण होता है और परिवार को सँभालने के लिए घर के मुखिया के जीवन में स्थायित्व की ही आवश्यकता होती है| इसीलिए अगर इस दिशा में घर के मुखिया के लिए मास्टर बेडरूम बनाया जाता है तो उसे जीवन में स्थायित्व मिलता है |
चूँकि यह क्षेत्र आपकी दक्षता (Skills) में भी वृद्धि करता है अतः इस दिशा में आप अपने प्रमाण-पत्र, डिग्रीयां और पुरस्कार भी इस रख सकते है | अगर आपका कोई ऑफिस है तो उसमे यह सुनिश्चित करे कि आप उसमे नैऋत्य दिशा में ही बैठे |
इसके अलावा इस दिशा में दीवारों के लिए लाइट येलो कलर सबसे उपयुक्त होता है | इस स्थान पर आप येलो कलर के बल्ब का भी इस्तेमाल कर सकते है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
चूँकि यह ईशान कोण के बिलकुल विपरीत दिशा में स्थित है अतः इसमें ईशान से संबधित गतिविधयां करना अनुचित होगा | उदाहरण के लिए पूजा स्थल के लिए यह स्थान अनुपयुक्त है, इस दिशा में ईशान का कलर ब्लू भी नहीं किया जा सकता और जल से सम्बंधित वस्तुएं भी इस दिशा में नहीं रखी जानी चाहिए | अंडरग्राउंड वाटर टैंक, सेप्टिक टैंक का नैऋत्य में निर्माण गंभीर वास्तु दोष होता है |
10- पश्चिमी नैऋत्य दिशा (WSW) –
अवस्थिति –
पश्चिमी नैऋत्य दिशा का विस्तार 236° डिग्री से 259° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
पश्चिमी नैऋत्य जीवन की दो प्रमुख चीजों को सर्वाधिक प्रभावित करता है – शिक्षा और बचत | अगर आप या आपके बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे है, किसी प्रकार का अधययन करते है, किसी विषय या विद्या का निरंतर अभ्यास करते है तो इस क्षेत्र का अनुकूल होना बेहद आवश्यक है | [ बेहतरीन करियर के निर्माण हेतु बेहद उपयोगी वास्तु टिप्स इस लिंक पर Click करके पढ़े - @CareerVastu ]
इसके अलावा आप अपने जीवन में कितनी बचत कर पा रहे है इस बात का निर्धारण भी इस दिशा में मौजूद उर्जा क्षेत्र के द्वारा तय होता है | हो सकता है आपकी कमाई बहुत अच्छी हो, आप बहुत अच्छा मुनाफा कमाते हो लेकिन आपकी कमाई का अधिकांश हिस्सा अगर खर्च हो जाता हो तो निश्चित ही आपको बुरा लगता होगा | ऐसे में आप जो कमाई कर रहे है उसमे आपको बचत भी हो इसके लिए पश्चिमी नैऋत्य को ठीक रखने की जरुरत है |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
आपको पहले भी बताया गया है कि घर में बेडरूम बनाने के लिए वास्तु सम्मत स्थान सुनिश्चित और सीमित दिशाओं में स्थित होते है | पश्चिमी नैऋत्य भी एक ऐसे दिशा है जहाँ आप बेडरूम बना सकते है | इस बेडरूम का सर्वाधिक फायदा स्टूडेंट्स को मिलेगा |
बहुत से बच्चे है जो बहुत मेहनत करते है लेकिन परीक्षा के वक्त तक सब याद नहीं रख पाते है | ऐसे में इस दिशा में पढना फायदेमंद होगा क्योंकि बचत करना इस दिशा की विशेषता है अतः इस दिशा में पढने वाले बच्चे जो पढाई करेंगे उसे अधिक समय तक याद रख पायेंगे |
पश्चिमी नैऋत्य डाइनिंग रूम के लिए भी उत्तम दिशा है |
आप अपनी कमाई से होने वाली बचत, आभूषण या अन्य किसी रूप में की गई बचत को भी इस दिशा में रख सकते है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधयाँ –
पश्चिमी नैऋत्य में अगर आपने बच्चे के लिए बेडरूम बना रखा है तो उसमे ऐसा कोई अन्य सामान नहीं रखे जो कि उसका मन पढाई से हटाये | उदाहरण के लिए अगर कोई मनोरंजन का साधन इस स्थान पर रख रखा है तो बच्चे का मन इन्ही चीजों में लगा रहेगा बजाय कि पढाई के | हालाँकि वर्तमान समय में बढ़ रहे प्रतिस्पर्धी माहौल को देखते हुए पेरेंट्स कई बार बच्चों पर अत्यधिक दबाव डाल देते है जो कि अनुचित है अतः इस बात का ध्यान रखे |
इस दिशा में टॉयलेट, वाशिंग मशीन या मिक्सी रखने पर आपके बच्चे को मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिलेंगे |
11- पश्चिम दिशा (WEST) –
अवस्थिति –
पश्चिम दिशा का विस्तार 259° डिग्री से 281° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
पश्चिम दिशा आपको भौतिक लाभ करवाती है | आपको अपने जीवन में प्राप्त होने वाले भौतिक लाभ इस दिशा के वास्तु सम्मत होने पर कई गुना बढ़ जाते है | यहाँ उपस्थित उर्जा आपके रहस्यमयी अवचेतन मन को इस प्रकार प्रभावित करती है कि आपको लाभ हासिल करने के लिए जिस प्रकार के विचारों की आश्यकता होती है या जिस प्रकार के कदम उठाने की जरुरत होती है आपका अवचेतन मन उसी प्रकार के विचारों को अपनी ओर आकर्षित करता है |
पश्चिम दिशा का अनुकूल वास्तु आपको उर्जावान भी बनाता है और तेजी से काम करने के लिए पर्याप्त दक्षता भी प्रदान करता है |
यह संभव है कि आपको पर्याप्त मात्रा में धन आगमन हो रहा है लेकिन अगर यह जोन वास्तु विरुद्ध निर्मित है तो यह धन आगमन आपको लाभ के रूप में नहीं आएगा | आपको मिल रहा धन आपकी लगाई लागत के बराबर ही होगा उसमे आपको मुनाफा नहीं होगा | लेकिन अगर यह जोन ठीक है तो आपके निवेश की लागत भी निकलेगी और आपको उसके अतिरिक्त बहुत मुनाफा भी प्राप्त होगा |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
घर में बेडरूम बनाने के लिए तीन सर्वश्रेष्ठ स्थान है – दक्षिण दिशा, नैऋत्य (SW), और पश्चिम | इसलिए पश्चिम बेडरूम बनाने के लिए उत्तम स्थान है | इसके अलावा यहाँ पर डाइनिंग रूम भी निर्मित किया जा सकता है | ड्राइंग रूम निर्मित करने के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
जैसा कि आपने अब तक देखा होगा कि जितनी भी सकारात्मक और लाभ प्रदान करने वाली दिशाएं होती है वहां पर नकारात्मक गतिविधियाँ नहीं की जानी चाहिए अन्यथा विपरीत परिणाम हासिल होते है | ऐसे में पश्चिम में टॉयलेट का निर्माण करना या डस्टबिन रखना अनुचित और वास्तु विरुद्ध होगा |
12- पश्चिमी वायव्य दिशा (WNW) –
अवस्थिति –
पश्चिम वायव्य दिशा का विस्तार 281° डिग्री से 304° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
पश्चिमी वायव्य (WNW) सकारात्मक कार्य करने के लिए अशुभ दिशा है हालाँकि अगर इसका संतुलित इस्तेमाल किया जाए तो यह आपके लिए उपयोगी भी साबित हो सकती है | इस दिशा को वास्तु में Detoxification और Depression की दिशा माना जाता है | ऐसे में अगर इस स्थान पर 15-20 मिनट का समय व्यतीत किया जाए तो व्यक्ति अपने आप को Detoxify कर सकता है और नेगेटिव एनर्जी को बाहर निकाल तनाव मुक्त हो सकता है लेकिन अगर इस दिशा में अधिक समय व्यतीत किया जाए तो व्यक्ति Depression में भी जा सकता है |
इसलिए इस उर्जा क्षेत्र में ऐसा कोई कार्य नहीं करे जिसमे आपको प्रतिदिन अधिक समय व्यतीत करना पड़ रहा हो | बल्कि यहाँ अपनी इच्छानुसार कुछ समय बिताकर अपने आप को आप Detoxify कर सकते है |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
पश्चिमी वायव्य में डस्टबिन को रखा जा सकता है और इसके अलावा यहाँ पर वाशिंग मशीन और मिक्सी भी रखी जा सकती है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
जैसा कि आपको बताया गया है कि इस जोन में ऐसा कोई भी कार्य नहीं करे जिसमे आपको अधिक समय बिताना पड़े | जैसे कि यहाँ बेडरूम नहीं होना चाहिए क्योंकि बेडरूम में सोते वक्त आप समय तो अधिक बिताते ही है बल्कि सोते वक्त आपका चित्त बेहद ग्रहणशील होता है | और ऐसे में वो आसपास की नकारात्मक उर्जा को भी ग्रहण कर लेता है | इसके अलावा यहाँ पर पढने सम्बन्धी कोई कार्य या ऑफिस का काम नहीं करे |
13- वायव्य दिशा (NW) –
अवस्थिति –
वायव्य दिशा का विस्तार 304° डिग्री से 326° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
आधुनिक समय में तेजी से विकास करने के लिए व्यक्ति को जिस सबसे महत्वपूर्ण चीज की आवश्यकता होती है, वह है – सपोर्ट (सहयोग) |
यह सपोर्ट या सहयोग किसी भी प्रकार का हो सकता है | उदाहरण के लिए आर्थिक सहायता के लिए बैंकिंग सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है, सरकारी कार्य करते है तो सरकारी सहयोग की, कोई उद्योग है तो कच्चे माल के सप्लायर्स के सहयोग की, परिवार में कोई समस्या या विवाद है तो परिवार के सहयोग, रिश्तेदारों के सहयोग व कई परिस्थितियों में दोस्तों व परिचितों के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है |
ऐसी परिस्थिति में उत्तर-पश्चिम दिशा यानि कि वायव्य का वास्तु सम्मत होना जरुरी है | इस जोन में उपस्थित उर्जा आपके जीवन में इस प्रकार के लोगों को आकर्षित करती है जो आपके लिए किसी प्रकार से सहायक सिद्ध हो सकते है |
यह जोन बैंकिंग सपोर्ट को विशेष तौर पर प्रभावित करता है | बैंक लोन का रिजेक्ट होना या बैंक से सम्बंधित समस्याओं का निंरतर आना वायव्य के दोषयुक्त होने का ही परिणाम है |
जीवन में ऐसा समय आना जब आपको किसी के सहयोग या सपोर्ट की आवश्यकता है और आपके पास कोई मौजूद नहीं है तो ऐसे में आपको वास्तु के नियमों के तहत एक बार घर की वायव्य दिशा का जांचना होगा | इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति में ही आप इस प्रकार की परिस्थिति से रूबरू होते है |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
इस जोन में ड्राइंग रूम या बैठक का निर्माण किया जा सकता है | इस जोन में बनी बैठक में होने वाली मीटिंग्स के परिणाम सकारात्मक निकल कर आयेंगे और आपके लिए सहयोगी साबित होंगे |
बेडरूम के निर्माण के लिए भी यह जोन एक विकल्प है | इस जोन में बेडरूम के होने पर आपको दूसरों का तो सहयोग हासिल होगा ही बल्कि आप भी इस जोन में उत्पन्न उर्जा से प्रभावित होकर अन्य लोगो की सहायता के लिए तत्पर रहेंगे |
इसके अतिरिक्त यह भडारण कक्ष बनाने के लिए भी बेहद उपयुक्त है | प्राचीन समय में इस क्षेत्र का इस्तेमाल अनाज रखने व भण्डारण के लिए किया जाता था | अतः इस दिशा में आप अनाज के भण्डारण के लिए स्टोर रूम का निर्माण कर सकते है | [ स्टोर रूम का वास्तु जानने के लिए इस लिंक पर Click करे - @Store-Room-Vastu ]
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
इस दिशा में टॉयलेट का निर्माण नहीं करे | वायव्य में स्थित टॉयलेट आपके लिए बैंकिंग सपोर्ट से लेकर अन्य लोगों से मिलने वाले सपोर्ट में बाधाएं उत्पन्न करेगा |
14- उत्तरी वायव्य दिशा (NNW) –
अवस्थिति –
उत्तरी वायव्य दिशा का विस्तार 326° डिग्री से 349° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
उत्तरी वायव्य दिशा का जोन आकर्षण और सेक्स का जोन है | इस दिशा में उत्पन्न होने वाली उर्जा इस जोन में रखी गई वस्तुओं की ओर व्यक्ति को स्वतः ही बेहद आकर्षित करती है | जब आप किसी वस्तु की ओर आकर्षित होते है तो उसमे उत्तरी वायव्य दिशा में विद्यमान उर्जा का प्रभाव होता है |
इस जोन का पति-पत्नी (विशेषकर नव-विवाहित दम्पति) के बीच शारीरिक सम्बन्ध अच्छे रखने के लिए वास्तु अनुकूल होना जरुरी है | यह दाम्पत्य जीवन में सुख प्रदान करने वाला क्षेत्र है |
इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति आपके शादीशुदा जीवन को ख़राब कर सकती है |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
नव-विवाहित दम्पति के लिए इस स्थान पर शयनकक्ष का निर्माण किया जा सकता है | इसके अलावा जैसा कि आपका बताया गया है कि यह आकर्षण का भी जोन है | इस जोन में उपस्थित बल के प्रभाव से व्यक्ति स्वतः ही यहाँ रखी वस्तुओं के प्रति आकर्षित होता है | अतः आपके शॉप या ऑफिस में विक्रय योग्य प्रोडक्ट्स को भी आप इस जोन में रख सकते है जो कि उसकी बिक्री में सहयोगी होंगे |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
इस दिशा में दीवारों पर रेड कलर का उपयोग नहीं करें | इसके अलावा यहाँ पर टॉयलेट की उपस्थिति भी आपके दाम्पत्य जीवन पर असर डालेगी |
15- उत्तर दिशा (NORTH) –
अवस्थिति –
उत्तर दिशा का विस्तार 349° डिग्री से 11° डिग्री (360° के बाद पुनः 0° डिग्री से गणना शुरू होगी) के बीच होता है |
प्रभाव –
वास्तु शास्त्र में यह दिशा आर्थिक समृद्धि हासिल करने के नजरिये से बहुत अधिक महत्त्व रखती है | इस दिशा की उर्जा आपके जीवन में इस तरह के अवसर आकर्षित करती है जो आपको प्रचुर धन कमाने में सहयोग करे | चाहे आपके कार्य का क्षेत्र कुछ भी हो, अगर आपकी उत्तर दिशा बिलकुल वास्तु सम्मत है तो निश्चित ही आपको धन कमाने के प्रचुर अवसर उपलब्ध करवाएगी |
उत्तर दिशा में वास्तु दोष के होने पर सबसे अधिक नुकसान आपके आर्थिक स्थिति पर पड़ता है | ऐसे में आपके जीवन में पैसे की कमी बनी रहेगी | अतः इसे वास्तु अनुकूल ही बनाये |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
यह जोन ऐसे युवाओं के बेडरूम के लिए बेहतरीन है जो अपने करियर के निर्माण के लिए प्रयासरत है | इसके अतिरिक्त अगर सम्भावना हो तो इस जोन को बिना किसी निर्माण के एकदम खुला भी रखा जा सकता है | जल तत्व से सम्बंधित होने के चलते इसमें जल से सम्बंधित चीजे भी रखी जा सकती है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
उत्तर दिशा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए यहाँ पर ऐसी कोई भी वास्तु नहीं रखे या ऐसा निर्माण नहीं करे जो कि जल के विपरीत तत्व अग्नि तत्व से सम्बंधित हो | उदाहरण के लिए यहाँ पर किचन का निर्माण करना, रेड कलर या येलो कलर करना एक वास्तु दोष उत्पन्न करेगा | टॉयलेट का निर्माण भी इस दिशा में अनुचित है |
16- उत्तरी ईशान दिशा (NNE) –
अवस्थिति –
उत्तरी ईशान दिशा का विस्तार 11° डिग्री से 34° डिग्री के बीच होता है |
प्रभाव –
एक कहावत है कि “पहला सुख निरोगी काया” | जीवन में आप कितना ही धन संचय कर ले, चाहे आपके पास सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ मौजूद हो लेकिन आपका शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं हो तो आप जीवन का आनंद नहीं ले पायेंगे | ऐसे में वास्तु शास्त्र में एक ऐसी दिशा है जो आपको स्वस्थ रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है | इस दिशा को हम उत्तरी ईशान के रूप में जानते है |
उत्तरी ईशान का जोन व्यक्ति के स्वास्थ्य और आरोग्य से जुड़ा होता है | यह हमारे इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता) को प्रभावित करता है | अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए उत्तरी ईशान का निर्माण वास्तु में निर्धारित नियमों के आधार पर ही करे |
इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति आपकी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पर नकारात्मक असर डालती है | और आपका परिणामतः आप एक के बाद एक निरंतर बिमारियों से ग्रस्त रहते है |
वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –
इस क्षेत्र को भी अगर खुला एवं स्वच्छ रखा जाए तो उत्तम होगा | यह इस जोन की सकारात्मक उर्जा में वृद्धि करेगा | इसके अतिरिक्त अगर आप पहले से ही कोई दवाई का सेवन कर रहे है तो उन दवाइयों को आप इस दिशा में रख सकते है |
वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –
यह भी जल तत्व से सम्बंधित जोन है अतः यहाँ पर भी अग्नि तत्व से सम्बंधित किचन का निर्माण, इन्वर्टर रखना या रेड कलर करना इस जोन को नकारात्मक बना देता है | इसमें किसी भी प्रकार की अस्वच्छता उपस्थित नहीं होनी चाहिए |
ये तो थे किसी भी भवन में उपस्थित सभी 16 ज़ोन्स (उर्जा क्षेत्रों) के आपकी ज़िन्दगी पर पड़ने वाले प्रभाव | [ मुख्य द्वार का वास्तु जानने के लिए यह पढ़े- @Main-Gate-Vastu ]