Educating the mind without educating the heart is no education at all.
- Aristotle –
इस रहस्यमयी अस्तित्व के अपने नियम और सिद्धांत है जिस पर यह कार्य करती है | ब्रह्माण्ड के ये नियम और सिद्धांत इस बात से बिना प्रभावित हुए कार्य करते है कि आप कौन है, आप क्या है या आप कहाँ है | यही नियम व सिद्धांत आपके जीवन के हर पल और आपके जीवन के हर अनुभव को निर्धारित करते है चाहे आप जानते हो या नहीं |
आपका जीवन निरंतर अस्तित्व में विद्यमान उर्जाओं से प्रभावित हो रहा है | यह प्रभाव आपके विचारों, आपके अवचेतन मन, आपकी भावनाओं पर पड़ता है | अगर ये उर्जायें आपको सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है तो आप अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त करेंगे | लेकिन अगर आपके आसपास नकारात्मक उर्जाये विद्यमान है तो कड़ी मेहनत करने के बाद भी आपको असफलता, आर्थिक तंगी और निराशा ही हाथ लगेगी |
वास्तु शास्त्र का प्राचीन विज्ञान किसी भवन में इन्ही नकारात्मक उर्जाओं को हटाकर सकारात्मक उर्जाओं का प्रवाह सुनिश्चित करता है |
चाहे आप एक व्यापारी हो, छात्र हो, नौकरीपेशा हो या अन्य कोई व्यवसायी हो आपको आपके घर का वास्तु निश्चित ही प्रभावित करेगा | चूँकि दुनिया की प्रत्येक वस्तु उर्जा का ही एक रूप है अतः प्रत्येक घर, प्रत्येक भवन की भी अपनी एक निश्चित उर्जा होती है जिसे आप वहां जाकर महसूस कर सकते है |
आपने देखा होगा कि किसी एक व्यक्ति के घर में जाकर आपको सुकून महसूस होगा तो दुसरे व्यक्ति के घर में बैचेनी और तनाव महसूस होगा | यह अहसास वहां उपस्थित उर्जाओं के फलस्वरूप निर्मित होता है |
आपके घर में भी सुनिश्चित उर्जाओं का प्रवाह रहता है जो आपके अति शक्तिशाली अवचेतन मन को प्रभावित करता है | आपका अवचेतन मन आपके चेतन मन से कई गुना अधिक शक्तिशाली होता है | यह एक ऐसे उपकरण की तरह कार्य करता है जो आपके आसपास विद्यमान उर्जाओं से प्रभावित होकर उसी के अनुरूप विचार निर्मित करता है | और विचार मानव जीवन की सबसे शक्तिशाली चीज़ है जो उसे अन्य प्राणियों से अलग करती है |
आज हमारे आसपास विद्यमान प्रत्येक वस्तु किसी के मन में आये विचार का भौतिक स्वरुप है | इसलिए जिस तरह से आपका भोजन आपके शरीर का स्वास्थ्य निर्धारित करता है ठीक उसी प्रकार से आपके अवचेतन मन में चलने वाले विचार आपका जीवन निर्धारित करते है |
इसलिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि आपके अवचेतन मन को प्रभावित करने वाली उर्जाये सकारात्मक हो | और इसमें वास्तु शास्त्र बेहद अहम् भूमिका निभाता है | वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बने घरों में निवास कर रहे लोगों ने अपने जीवन में सफलता और समृद्धि को आकर्षित किया है |
अतः निश्चित ही आपके करियर की दशा और दिशा निर्धारित करने में आपके घर के वास्तु का ठीक होना जरुरी हो जाता है | इस सम्बन्ध में वास्तु शास्त्र के कुछ अहम् सिद्धांत इस प्रकार है–
प्रोफेशनल्स व स्टूडेंट्स के करियर के लिए वास्तु टिप्स –
1-
घर का मुख्य द्वार का वास्तु शास्त्र में बहुत ज्यादा अहमियत रखता है | वास्तु शास्त्र में किसी एक भवन या घर को 360° डिग्री में नापा जाता है और 11.25° डिग्री के कुल 32 पदों या भागों में इसे विभाजित किया जाता है | प्रत्येक पद या भाग के विशेष शुभ व अशुभ प्रभाव होते है | मुख्य तौर पर इन 32 पदों में से कुल 8 ऐसे पद होते है जिन पर मुख्य द्वार का निर्माण करना बेहद अच्छे परिणाम दिलवाता है |
हर दिशा में कम से कम एक शुभ और अच्छे नतीजे प्रदान करने वाला पद जरुर होता है | इन्ही 8 पदों में से किसी एक पद में आपके घर का मुख्य द्वार होना आवश्यक है | शुभ स्थान में स्थित पर पर निर्मित मुख्य द्वार ने लोगों को ना सिर्फ करियर में सफलता दिलाई है बल्कि आर्थिक रूप से भी बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है |
[ आपके घर के मुख्य द्वार का वास्तु जानने के लिए इस आर्टिकल के लिंक पर Click करें - secretvastu.com/main-gate-vastu ]
2-
नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) का सम्बन्ध प्रथ्वी तत्व (earth element) से है जो कि व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करता है | अतः करियर में स्थिरता प्राप्त करने के लिए यह बेहतर होगा कि आपका बेडरूम इसी दिशा में हो | लेकिन अगर अभी आप कोई प्रोफेशनल, व्यापारी या नौकरीपेशा नहीं है और आप एक छात्र है तो आपके बेडरूम के लिए पश्चिमी-नैऋत्य दिशा भी फायदेमंद साबित होगी |
3-
अगर आपके प्रोफेशन (व्यवसाय) या नौकरी में पब्लिक रिलेशन या नेटवर्किंग का विशेष महत्त्व है तो आपके घर में पूर्व दिशा का वास्तु सम्मत होना बहुत आवश्यक है | वास्तु में पूर्व दिशा का सम्बन्ध समाज और कार्यक्षेत्र में आपके पब्लिक रिलेशन का दायरा बढ़ाने से है | अतः पूर्व दिशा को अधिक खुला रखे, इस दिशा में बगीचा लगाना भी बहुत लाभ देता है और अगर ये दोनों चीज संभव नहीं हो तो पूर्व दिशा की दीवारों का कलर हरा रखना चाहिए |
4-
वैसे तो सम्पूर्ण घर स्वच्छ होना चाहिए लेकिन कार्य करने वाला स्थान व ईशान कोण को विशेषतौर पर स्वच्छ रखना चाहिए |
5-
सोते वक्त अपना सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में रखे | हालाँकि कार्य करते वक्त भी बेहतर नतीजे प्राप्त करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह करके ही पढ़े |
6-
कार्य करते वक्त आपके पीछे की तरफ एक दीवार होनी चाहिए | यह आपको साईकोलोजिकल सपोर्ट और सेफ्टी का अहसास प्रदान करेगी | या तो इस दीवार को खाली रखे और इस पर किसी प्रकार की पेंटिंग या कलाकृति नहीं लगाये और अगर लगाना ही चाहते है तो किसी माउंटेन की सुंदर पेंटिंग लगा सकते है |
7-
किसी कांफ्रेंस को संबोधित करते वक्त यह सुनिश्चित करे कि आपके बैठने का स्थान नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में हो और यह स्थान कांफ्रेंस रूम के प्रवेश द्वार से सर्वाधिक दुरी पर हो जोकि आपके पीछे ना होकर सामने की ओर हो |
8-
अगर आप किसी कंपनी के मालिक है या CEO जैसे महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत है तो यह सुनिश्चित करे कि ऑफिस में आपका रूम नैऋत्य दिशा में हो और उस रूम में भी आप नैऋत्य दिशा में ही उत्तर की ओर मुंह करते हुए बैठे | यह नैऋत्य दिशा आपको स्थायित्व और प्रबलता (Dominance) प्रदान करेगी |
9-
व्यापार करते वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे | कार्यस्थल पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठना आर्थिक वृद्धि के लिए लाभदायक सिद्ध होता है | आपके बैठने की चेयर अन्य चेयर्स की अपेक्षा अधिक ऊँची व बड़ी होनी चाहिए |
10-
अगर आप मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) से सम्बंधित कार्य करते है तो आप अपना तैयार सामान वायव्य (उत्तर-पश्चिम) में रखवाएं | वायव्य दिशा में रखा निर्मित सामान अधिक तेज गति से बिकेगा |
11-
ऑफिस में स्थित फर्नीचर लकड़ी का हो तो सर्वोत्तम होगा | फर्नीचर टुटा-फुटा या गन्दा नहीं होना चाहिए | यह नेगेटिव एनर्जी को दर्शाता है | इसलिए ऐसे फर्नीचर को या तो रिपेयर करवा ले और बेहतर होगा कि इसे बदलवा ही ले |
12-
बेहतर कैश फ्लो के लिए आप अपने ऑफिस के आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) में एक लैंप रख सकते है | और अग्नि से सम्बंधित अन्य वस्तुए भी इसी दिशा में रखे तो कैश फ्लो पॉजिटिव बना रहेगा|
13-
पीने का पानी और वाटर फाउंटेन या जल से सम्बंधित चीजे ऑफिस के ईशान (उत्तर-पूर्व) में रखे |
प्रोफेशनल्स व स्टूडेंट्स के करियर के लिए वास्तु टिप्स (क्या नहीं करें) –
1-
अपने घर में टॉयलेट का निर्माण किसी भी सूरत में उत्तर दिशा और ईशान (उत्तर-पूर्व) में नहीं करे | यह आर्थिक परेशानियों का कारण बनेगा | आपको करियर के लिए नए अवसर प्राप्त नहीं होंगे और मन में हमेशा अनिश्चितता और अस्पष्टता के भाव बने रहेंगे| इन दिशाओं में टॉयलेट का निर्माण एक बड़ा वास्तु दोष निर्मित करता है | अतः इसके प्रति विशेष सावधानी बरतें | टॉयलेट का निर्माण करने के लिए पूर्वी आग्नेय, दक्षिणी नैऋत्य और पश्चिमी वायव्य सबसे बेहतर विकल्प है | [ दक्षिण मुखी घर का वास्तु जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़े - secretvastu.com/south-facing-house ]
2-
ऑफिस का कार्य करते वक्त या पढाई करते वक्त कभी भी किसी बीम के नीचे नहीं बैठे | इस स्थान पर बैठने से आपको मानसिक तनाव महसूस होगा जिसका असर आपके कार्य व पढाई की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा | अतः बीम के नीचे बैठना बिलकुल भी वास्तु सम्मत नहीं होगा |
3-
आपकी ऑफिस टेबल या स्टडी टेबल व अन्य फर्नीचर वृताकार, गोलाकार, अंडाकार या अनियमित आकार का नहीं होना चाहिए |
4-
कार्यस्थल अधिक सामानों से भरा हुआ, संकुचित व कम ऊंचाई वाला नहीं होना चाहिए| यह मन में अस्पष्टता, तनाव पैदा करता है और कार्य की गुणवत्ता को प्रभावित करता है |
5-
घर में और विशेष तौर पर आपके स्टडी रूम या बेडरूम में युद्ध सम्बन्धी, हिंसा सम्बन्धी, एब्सट्रैक्ट आर्ट सम्बन्धी नेगेटिव तस्वीरे और कलाकृतियाँ बिलकुल भी नहीं लगानी चाहिए | यह निरंतर आपके अवचेतन में नकारात्मकता का प्रसार करती है |
6-
आपके स्टडी रूम या ऑफिस में कार्य करते वक्त प्रवेश द्वार की ओर अपनी पीठ करके नहीं बैठे | यह असुरक्षा की भावना देगी और निरंतर तनाव में रहने से आप एकाग्रता के साथ कार्य नहीं कर पाएंगे |
7-
कार्य करते वक्त अपने पीछे की दीवार पर जल तत्व से सम्बन्धी तस्वीर या फोटो नहीं लगायें | यह भी मन में अस्थिरता पैदा करती है |
8-
आपकी स्टडी टेबल या ऑफिस टेबल के आगे दीवार नहीं होनी चाहिए | यह आपके विज़न को सीमित करता है साथ ही नए रचनात्मक विचारों को भी बाधित करता है | अतः कोशिश करें कि टेबल के सामने का स्पेस खाली हो ताकि नए आइडियाज और विचार निर्बाध रूप से आपके अवचेतन में आ सके |
वास्तु शास्त्र के इन महत्वपूर्ण और प्रामाणित सिद्धांतों को अपनाकर आप निश्चित ही लाभान्वित होंगे और यह नियम आपके करियर, व्ययसाय, व्यापार या नौकरी के लिए निश्चित ही आश्चर्यजनक परिणाम देंगे |
अस्तित्व का नियम है कि -
“ जो आप सोचते है वो आप बनते है, जो आप महसूस करते है वो आप आकर्षित करते है और जो आप कल्पना करते है उसकी आप रचना करते है | ”
अस्तित्व का यह सिद्धांत संभवतः मानव इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है | यहाँ यह समझाने की कोशिश है कि आपके विचार, आपकी भावनाएं और आपकी कल्पनाएँ आपकी जिंदगी का निर्माण करती है | चाहे आप जीवन में सफल हो या असफल हो इसमें इन तीनो चीजों की भूमिका असाधारण है | कभी भी कोई व्यक्ति नकारात्मक विचारों, नकारात्मक भावनाओं के साथ बड़ी सफलता हासिल नहीं कर सकता चाहे वो दिन-रात मेहनत कर ले |
ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि हम अपनी भावनाओं और विचारों को सकारात्मक रखे | ऐसी परिस्थिति में वास्तु शास्त्र एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है | वास्तु शास्त्र के जरिये भवन का निर्माण इस प्रकार से किया जाता है कि वहां पर निरंतर सकारात्मक उर्जाओं का प्रवाह रहे | यह प्रवाह आपके अवचेतन मन को भी प्रभावित करेगा | परिणामतः आपके विचार और भावनाएं भी सतत रूप से पॉजिटिव बनी रहेगी | यही आपके जीवन में चमत्कार का कारण बनेगी |
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मेहनत सफलता हासिल करने के लिए एक आवश्यक गुण होता है लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि सभी लोगो को उनकी मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिलती है | इसलिए आप अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत जरुर करिए लेकिन उस मेहनत का आपको अच्छा परिणाम मिले इसे भी सुनिश्चित करिए | और इसके लिए वास्तु शास्त्र के सिद्धांत आपके लिए बेहद कारगर साबित होंगे जिसका प्रमाण आप खुद इन्हें लागू करके देख सकते है |
अंत में याद रखिये कि -
ईश्वर आपको कभी ऐसा सपना नहीं देगा, जिसे आप साकार ना कर सके | अगर आप किसी चीज़ का सपना देख सकते है, तो निश्चित ही आप उसे हासिल भी कर सकते है |