“ यदि बच्चे को उसकी निजता को विकसित करने में सहायता दी जाए बगैर दूसरों के अवरोधों के,
तो हमारी दुनिया बहुत सुंदर होगी |
तब हमारे यहाँ बहुत सारे बुद्ध, बहुत सारे सुकरात और बहुत सारे जीसस होंगे |
हमारे यहाँ महानतम प्रतिभाएं जन्म लेंगी | “
— ओशो —
बच्चें भी एक ऐसे बींज की भाँती होते है जिसमे विकास की अनंत सम्भावनाये छिपी हुई होती है | ये सम्भावनायें हकीकत भी बन सकती है और हमेशा के लिए दबकर भी रह सकती है | सृष्टि में मौजूद हर चीज़ को विकसित होने के लिए एक सुनिश्चित माहौल की आवश्यकता होती है | बच्चोंं की प्रतिभा का विकास करने के लिए उन्हें भी बचपन से एक सकारात्मक माहौल में बड़ा करना आवश्यक है और ये सकारात्मक माहौल विकसित करने में उनका बेडरूम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
इसका सबसे बड़ा कारण है कि बच्चोंं का अवचेतन मस्तिष्क अभी परिष्कृत होने की प्रक्रिया से गुजर रहा होता है और इस दौरान उनके अवचेतन को प्रभावित करने वाली प्रत्येक चीज उनके जीवन को आने वाले वक्त में बड़े स्तर पर प्रभावित करेगी | इसीलिए बच्चे कहाँ पर सोते है, उनका कमरा किस दिशा में स्थित है, उनका बेड किस दिशा में है और इनके अलावा अनेक बातें उसके अवचेतन मस्तिष्क पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गहरा प्रभाव डालती है | अतएव बच्चोंं का कमरा बनाते वक्त निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए –
बच्चोंं का बेडरूम वास्तु सम्मत बनाने के लिए निम्न उपाय करे –
1. बच्चों के बेडरूम के लिए पश्चिम सर्वोतम दिशा है |
2. इसके अतिरिक्त पूर्व दिशा भी एक अच्छा विकल्प है |
3. बच्चों के बेडरूम में बेड नैऋत्य दिशा में रखना सही है |
4. बेड को दीवार से कुछ दुरी पर रखे |
5. सोते वक्त बच्चों का सिर दक्षिण दिशा में रखे |
6. पूर्व में सिर रखकर भी सो सकते है |
7. कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में रखना चाहिए |
8. इस कमरे का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की और भी रखा जा सकता है |
9. स्टडी टेबल पूर्व दिशा की और रखे तो सर्वश्रेष्ठ होगा |
10. उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में भी स्टडी टेबल रखी जा सकती है |
11. पढ़ते वक्त बच्चे का मुंह पूर्व या ईशान (उत्तर-पूर्व) की और रहे |
12. फर्नीचर व अन्य भारी सामान नैऋत्य, दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखे |
13. फर्नीचर को दीवारों से थोड़ी दुरी बनाकर रखे |
14. कंप्यूटर या लैपटॉप आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) में रखा जा सकता है |
15. टी.वी. बच्चों के रूम में अगर रखना ही हो तो इसे उत्तर दिशा में रखे |
16. ब्रह्मस्थान को पूर्णतः खाली रखना चाहिए |
17. कमरे में दीवारों पर हल्के रंगों का ही प्रयोग करे |
बच्चों के लिए बेडरूम बनाते वक्त निम्न सावधानिया बरते –
1. नैऋत्य में बच्चों का बेडरूम कभी नहीं बनाना चाहिए |
2. आग्नेय भी बच्चों के बेडरूम के लिए शुभ दिशा नहीं है |
3. बच्चों के बेडरूम का दरवाजा बेड के ठीक सामने नहीं होना चाहिए |
4. नैऋत्य कोण में कमरे का द्वार कभी नहीं रखना चाहिए |
5. ब्रह्मस्थान खाली रखे | उत्तर, ईशान कोण, पूर्व दिशा में भारी सामान रखने से बचे |
6. बच्चों के बेडरूम में दर्पण नहीं रखे | (विशेषकर बेड के सामने)
7. दीवारों पर बहुत अधिक गहरे कलर ना करे |
8. बेडरूम में बहुत अधिक तस्वीरों या चित्रों को ना लगाए |
प्रत्येक बच्चा अवसरों की असीम संभावनाओं को लेकर जन्म लेता है | जिस तरह से पेड-पौधों या सृष्टि में विद्यमान अन्य चीजों को फलने-फूलने के लिए उचित वातावरण की आवश्यकता होती है | उसी प्रकार बच्चों को भी उचित दिशा में विकास करने के लिए उचित वातावरण की आवश्यकता होती है | बचपन में बच्चें खाली स्लेट की तरह होते है | उस स्लेट पर जो अंकित होगा वो उन्हें पूरे जीवनभर प्रभावित करेगा |
बच्चों के अपेक्षाकृत ज्यादा ग्रहणशील होने के कारण हमें इस बात को लेकर पर्याप्त सावधानियां रखनी चाहिए कि बच्चे अपने आसपास किस तरह की उर्जाओं के बीच बड़े हो रहे है | अगर जिस स्थान पर वो सोते है, जहाँ वो अपना अधिकांश समय व्यतीत करते है, वो स्थान सकारात्मक उर्जाओं से भरपूर है तो यह बच्चों के अवचेतन मस्तिष्क में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा और उनका सही दिशा में विकास करेगा | इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार बना बच्चों का बेडरूम बेहद लाभदायक सिद्ध होगा |