“अच्छा और लम्बा जीवन जीने का रहस्य है;
भोजन आधा करना, पैदल दोगुना चलना, हँसना तीन गुना
और प्यार बेहिसाब करना |”
— तिब्बती कहावत —
वर्तमान के भागदौड़ भरे जीवन में भोजन कक्ष ही एक ऐसा स्थान है जहाँ पूरा परिवार एक साथ बैठ पाता है | जिस प्रकार से सोने के लिए, पूजा के लिए, नहाने के लिए, खाना बनाने के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित होते है, ठीक उसी प्रकार भोजन करने के लिए भी एक निश्चित स्थान होना चाहिए जो कि अन्य स्थानों से अलग हो |
इस स्थान के निर्धारण के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ नियम है | आइये जानते है कि भोजन कक्ष के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स |
भोजन कक्ष के लिए क्या करे –
1. भोजन कक्ष घर की पश्चिम दिशा में बनाना सर्वोतम है |
2. इसके लिए दूसरा बेहतर स्थान पूर्व दिशा है |
3. भोजन करने वालो को मुंह पश्चिम की तरफ रहे |
4. पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके भोजन करना एक और विकल्प है |
5. घर का मुखिया पूर्व दिशा की और मुंह करके भोजन करे |
6. भोजन कक्ष का प्रवेश द्वार पूर्व में हो |
7. उत्तर में भी इसका प्रवेश द्वार बनाया जा सकता है |
8. भोजन कक्ष में हवा और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था हो |
9. डाइनिंग टेबल पश्चिम दिशा में रखे |
10. नैऋत्य व पूर्व दिशा में भी यह टेबल रखी जा सकती है |
11. यह टेबल आयताकार या वर्गाकार हो तो उत्तम होगा |
12. इस कमरे के फर्नीचर, भारी सामान को नैऋत्य, दक्षिण दिशा या पश्चिम में रखे |
13. इस कमरे के उत्तर-पूर्व दिशा को पानी रखने के लिए प्रयुक्त करे |
14. हाथ धोने के लिए वॉशबेसिन उत्तर या पूर्व दिशा में रखे |
भोजन कक्ष बनाते समय क्या ना करे –
1. नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा में भोजन कक्ष नहीं बनाये |
2. घर का मुख्य द्वार और भोजन कक्ष का प्रवेश द्वार एक दुसरे के सामने ना हो |
3. इस कमरे के सामने या आसपास शौचालय ना हो |
4. दक्षिण दिशा में मुंह करके भोजन करना वास्तु में निषिद्ध माना गया है |
5. डाइनिंग टेबल के ऊपर किसी तरह का भारी निर्माण ना हो |
6. दक्षिण-पश्चिम में इसका प्रवेश द्वार बनाना वास्तु नियमो के प्रतिकूल होगा |
7. शांत वातावरण में खाना खाने के लिए यहाँ टेलीविज़न जैसे उपकरण नहीं रखे |
8. डाइनिंग टेबल दीवार के बिलकुल सटा के नहीं रखे (विशेषकर ईशान कोण से)|
9. फर्नीचर या भारी सामान उत्तर, पूर्व, ईशान कोण में रखना निषिद्ध है |
10. गोल, वृताकार डाइनिंग टेबल जहाँ तक संभव हो ना खरीदे |
11. वॉशबेसिन की व्यवस्था आग्नेय कोण में बिलकुल ना करे |
12. बच्चे डाइनिंग टेबल के नैऋत्य दिशा में नहीं बैठे |
खाने के लिए उचित दिशा और वास्तु सम्मत कमरे का होना इसलिए आवश्यक है कि जहाँ बैठकर आप खाना खाते है वो जगह आपके भोजन की गुणवत्ता, आपकी पाचन क्षमता पर भी असर डालती है | और अंततः इन सबका असर आपके स्वास्थ्य पर पड़ता है | अतः भोजन कक्ष के निर्माण के वक्त वास्तु शास्त्र द्वारा निर्धारित सावधानियां बरते |