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वास्तु कैसे काम करता है? How Vastu Works?

Nov 02, 2019 . by Sanjay Kudi . 14620 views

vastu shastra and universe

सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर वास्तु शास्त्र और ब्रह्माण्ड में उपस्थित उर्जाओं का आपस में क्या सम्बन्ध है और सम्बन्ध ये किस तरह से हमारी जिंदगी को प्रभावित करता है ? क्या हमारी सृष्टि में उपस्थित उर्जाएं हमें या हमारे घरों को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं ? और अगर रखती है तो निश्चित ही हमें इस सम्बन्ध में पर्याप्त उपाय करने चाहिए |

ब्रह्माण्ड में हर चीज़ एक दुसरे से जुडी हुई है | उसका सबसे बड़ा कारण है ब्रह्माण्ड में  मौजूद ग्रहों, सितारों, प्राणियों, वस्तुओं के उद्भव का स्त्रोत एक ही होना | 

उसका सबूत हम अपनी पृथ्वी पर भी देख सकते है जब हमारे गृह से लाखों करोड़ों मील दूर घटने वाली घटनाओं का असर हमारी पृथ्वी पर पड़ता है | हमारे और प्रकृति के बीच के इस सम्बन्ध को कॉस्मिक केमेस्ट्री नामक विज्ञान की एक नयी शाखा के जरिये समझा जा सकता है |

1950 में वैज्ञानिक जियोजारजी जिऑरडी ने कॉस्मिक केमेस्ट्री के विज्ञान को अस्तित्व में लाने का काम किया था | जियोजारजी जिऑरडी ने वैज्ञानिक आधारों पर अनंत प्रयोगों के जरिये यह सिद्ध किया था कि पूरा ब्रह्माण्ड एक ही शरीर की तरह कार्य करता है |

जिस तरह से हम देखते है कि हमारे शरीर का कोई एक हिस्सा बीमार पड़ता है तो उसका प्रभाव शरीर के अन्य हिस्सों में भी महसूस किया जा सकता है | जैसे कि अगर हमारा सिरदर्द कर रहा हो तो ऐसे में हमारा पूरा शरीर बैचेनी महसूस करेगा | हमारे शरीर का हर अंग देखने में भले ही अलग-अलग हो लेकिन ये सभी अंग एक ही इकाई यानि कि शरीर का ही एक हिस्सा है|

इसी तरह से कॉस्मिक केमेस्ट्री के अनुसार पूरा जगत एक ही शरीर है | इसलिए कोई तारा कितनी ही दूर क्यों न हो, उसमे आये किसी भी प्रकार के परवर्तन का असर हमारे गृह पर भी देखने को मिलेगा, चाहे उसकी मात्रा बहुत कम हो या बहुत ज्यादा, लेकिन निश्चित तौर पर ब्रह्माण्ड में हो रही गतिविधियां निरंतर हमें अदृश्य रूप से प्रभावित कर रही है |

इसी कारण से हम देखते है की सूरज जब ज्यादा उदीप्त होता है तो हमारे खून की धाराएँ बदल जाती है | इस सम्बन्ध में जापानी चिकित्सक तोमोतो ने काफी काम किया है और सूरज पर होने वाली घटनाएँ किस प्रकार से हामारे शरीर में बह रहे खून की संरचना में बदलाव लाती है इस बारे में जानकारी दी है |

हम तीन बड़े उदाहरणों से यह समझ सकते है कि किस प्रकार पूरा जगत एक दुसरे से न सिर्फ जुड़ा हुआ है बल्कि एक दुसरे को प्रभावित भी कर रहा है –

1. पिछली शताब्दी में रूस के चीजेवस्की नामक वैज्ञानिक ने एक बहुत ही मूल्यवान खोज की | यह खोज सूरज पर होने वाली घटनाओं के पृथ्वी पर पड़ने वाले असर से सम्बंधित थी | रुसी वैज्ञानिक चीजेवस्की के अध्ययन की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्होंने सूर्य और पृथ्वी के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए सात सौ वर्षों के लम्बे इतिहास का अध्ययन किया |

1920 में उन्होंने अपनी खोज में पाया की सूरज पर हर ग्यारह वर्षो में पीरियोडीकली बहुत बड़े विस्फोट होते है | चीजेवस्की ने सूरज पर हर ग्यारह वर्षों में होने वाले विस्फोटों और पृथ्वी पर पड़ने वाले उसके असर का एक गहरा सम्बन्ध ढूँढा | उसने पाया की जब-जब भी सूरज पर बड़े विस्फोट होते है तब-तब पृथ्वी पर युद्ध और क्रांतियों की घटनाएँ घटित होती है | चीजेवस्की ने पृथ्वी पर होने वाली महामारियों का सम्बन्ध भी सूरज पर होने वाली घटनाओं के साथ स्थापित किया | चीजेवस्की की इस खोज ने यह साबित किया कि सूर्य हमें केवल जीवन ही नहीं देता बल्कि हमारे जीवन को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित भी करता है|

 

2. दूसरा उदाहरण हम लेते है सूर्यग्रहण का | ऐसा देखा गया है कि जब सूर्य ग्रहण होता है तब बड़े ही आश्चर्यजनक रूप से जानवर भयभीत हो जाते हैं | जानवर इस दौरान उनमे व्याप्त भय के चलते अजीब व्यव्हार करने लग जाते हैं | सूर्य ग्रहण के दौरान जानवरों के व्यव्हार में आने वाले बदलाव पर आधिकारिक तौर पर सबसे पहले 1544 में दस्तावेजीकरण हुआ | इस दौरान यह पाया गया कि जब सूर्य का ग्रहण हुआ तब जंगल में पक्षियों ने गीत गाना या चहचहाना बंद कर दिया | 

यह आज भी देखा जा सकता है की सूर्य ग्रहण के दौरान पक्षी भय के चलते एकदम शांत हो जाते है | कुछ ऐसा ही व्यव्हार बंदरो में भी देखने को मिलता है जो कि साधारणतया निरंतर शौरगुल और उछल-कूद में व्यस्त रहते है, वो भी सूर्यग्रहण के दौरान शांत हो जाते हैं | वर्ष 1994 की बात है जब मेक्सिको में सूर्य ग्रहण के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया की स्पाइडर्स की एक प्रजाति colonial orb-weaving spiders ने सूर्य ग्रहण के एक मिनट के भीतर ही अपने बुने हुए जाल हटा लिए | ये सभी घटनाएँ दो चीजें साबित करती हैं - पहली कि निश्चित ही हमारे गृह से 14 करोड़ 92 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूर्य पृथ्वी पर मौजूद प्राणियों पर असर डालता है | दूसरी बात कि इस असर के प्रति जानवर हमसे ज्यादा संवेदनशील है और हमारी इसी असंवेदनशीलता के चलते हमें इन प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव का आभास नहीं होता है |

 

3. तीसरें उदाहरण में भी हम देखंगे की सृष्टि और हमारे बीच में एक सम्बन्ध है जो हमें हर वक्त प्रभावित करता है | अगर हम इससे प्रभावित होंगे तो निश्चित ही हमारे द्वारा बनायीं हुई चीज़े भी इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती और हमारे घर और अन्य भवन भी इसके अपवाद नहीं है |

बहुत समय पहले पैरासेलीसीस नाम का एक व्यक्ति हुआ था | उसने एक मान्यता दी थी, आदमी के बीमार पड़ने और नक्षत्रो के सम्बन्ध में | उसने अपने शोध में यह साबित किया की एक आदमी तभी बीमार पड़ता है जब उसके और उसके जन्म के साथ हुए नक्षत्रों के बीच का तारतम्य टूट जाता है | इसी सम्बन्ध में इतिहास में आज तक हुए सबसे मूल्यवान व्यक्तियों में से एक यूनान के पाईथागोरस ने ‘प्लेनेटरी हार्मोनी’ से सम्बंधित एक बहुत कीमती दर्शन को जन्म दिया |

पाईथागोरस ने बताया की प्रत्येक नक्षत्र या गृह जब अंतरिक्ष में गति करता है तो उसके कारण एक विशेष ध्वनि पैदा होती है |  ये ध्वनि प्रत्येक नक्षत्र के साथ बदलती रहती है यानि कि सभी नक्षत्रों की अपनी एक व्यक्तिगत ध्वनि होती है | एक बच्चे के जन्म लेते समय इन नक्षत्रों की संगीत या ध्वनि की जो अवस्था होती है वही उस बच्चे के संवेदनशील चित पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती है | वही उसे जीवन भर स्वस्थ रखती है | लेकिन जब उसका सामंजस्य उस संगीत व्यवस्था के साथ टूट जाता है जो की उसके जन्म के वक्त थी तो वह व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है |

 

इन सबसे एक बात साफ़ हो जाती है कि न सिर्फ इस संसार में घटने वाली हर घटना का सीधा सम्बन्ध इस जगत की उर्जाओं से होता है बल्कि यह बात भी स्पष्ट होती है कि सृष्टि एक व्यवस्थित और लयबद्ध रूप में कार्य करती है | मानव का कार्य इसी व्यवस्था और लयबद्धता को बनाये रखना है | इस सम्बन्ध में दुनिया में सदियों से काम होता आ रहा है |

हालाँकि हिंदुस्तान प्राचीनकाल से ही सृष्टि और मानव के बीच में व्याप्त सम्बन्ध को लेकर शोध करने में अग्रणी रहा है | हिंदुस्तान की धरती ने इसी क्रम में कई दर्शन, ग्रंथो और विज्ञान को जन्म दिया है - जैसे कि ज्योतिष शास्त्र, योग और वास्तु शास्त्र इत्यादि | 

वास्तु शास्त्र पर जिन ऋषि मुनियों ने गहन मंथन किया था उन्होंने किसी भी भवन विशेष में मौजूद सूक्ष्म उर्जाओं का सम्बन्ध ब्रह्माण्ड के साथ खोजा था | उन्होंने पाया कि मानव की चेतना ब्रह्माण्ड की चेतना का ही एक सुक्ष्म और अदृश्य स्वरुप है | एक भवन मनुष्य की उसी चेतना का विस्तारित और दृश्य स्वरुप है |

जब भी भवन में किसी प्रकार की नकारात्मक उर्जा विद्यमान होती है तो वो सीधे हमारे अवचेतन को प्रभावित करती है और यही अवचेतन मस्तिष्क हमारे भविष्य का निर्माण करता है | अतः ये आवश्यक हो जाता है कि किसी भी भवन का निर्माण नैसर्गिक व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए वास्तु के नियमों के अनुसार ही किया जाए जिससे कि प्रगति और सुखी जीवन का मार्ग प्रशस्त हो |

 

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Vastu Consultant Sanjay Kudi

Sanjay Kudi

Sanjay Kudi is one of the leading vastu consultant of India and Co-Founder of SECRET VASTU. His work with domestic and international clients from all walks of life has yielded great results. He has developed a more effective and holistic approach to vastu that draws from the most relevant aspects of traditional vastu, combined with the modern vastu remedies and environmental psychology. Sanjay Kudi, will provide a personalized vastu analysis report to open the door for you to the exceptional potential that the ancient science of Vastu can bring into your life. So, when you’re ready to take your career growth, business and happiness to the next level, simply reach out to us. Feel free to contact us by Phone, WhatsApp or Email.

Comments

RITU MOHAN

My main gate is in South East and toilet is in northeast, kitchen is in west , my room is in northwest what remedy I can do clear this dosh

Sanjay Kudi [Secret Vastu Consultant]

Hello Ritu Ji, You can rectify the South-East entrance with metal strip, but northeast kithcen is a strict no in vastu. Its remedy will also not be very effective in most cases. And North-West room is good for sleeping, no remedy needed for it.

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Kiran chopra

Very informative and interesting. Would love to read more n more.

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