क्या आपने कभी विचार किया है कि हमारा संसार किनसे बना है ? वो कौनसी चीजें या तत्व है जो इस पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाते है ? आखिर इस धरती पर विद्यमान सजीव और निर्जीव वस्तुएं और मानव शरीर किनसे बना है?
इन सब सवालों का जवाब है - पंचतत्व | दरअसल ये पूरा संसार और इसमें विद्यमान प्रत्येक वस्तु पंच तत्वों से बनी है | ये पंचतत्व इस प्रकार है–
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आकाश
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पृथ्वी
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वायु
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जल
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अग्नि
आपने बचपन में निश्चित ही इन पांच तत्वों के बारे में पढ़ा होगा लेकिन इन पांच तत्वों का महत्व आपको जीवन देने के अतिरिक्त और क्या है शायद इस बारे में कभी विचार नहीं किया होगा|
जरा सोचिये, अगर किन्ही तत्वों से ये पूरा संसार और इसमें उपस्थित जीवन का हर रूप निर्मित हुआ है और आपको भी जीवन उन्ही तत्वों से मिला है तो निश्चित ही वे बड़े ही महत्वपूर्ण और चमत्कारी होंगे | साथ ही तर्क ये भी कहता है की जब दो चीजें समान स्त्रोत से ही निर्मित हो तो उनमे एक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है जो कि कही न कही उन्हें परस्पर प्रभावित करता है|
यहाँ अगर हम मनुष्य की जिंदगी पर गौर करे तो हम पाएंगे की लगभग प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा अपने घर और कार्यस्थल पर बिताता है | इन भवनों में भी पंच तत्व विद्यमान होते है | जब तक ये तत्त्व संतुलित होते है तब तक घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है|
लेकिन इनके असंतुलित हो जाने पर घर के वातावरण में तनाव, जीवन में अस्थिरता उत्पन्न हो जायेगी | फलस्वरूप घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और समृद्धि पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा|
घर की प्रत्येक दिशा किसी एक तत्त्व विशेष से प्रभावित होती है | ये तत्त्व ना सिर्फ हमें जिंदगी देते है बल्कि पूरी जिंदगी ये हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित भी करते है | तो आइये जानते है प्रत्येक तत्त्व हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है और इनका क्या महत्व है–
1- पृथ्वी या भूमि तत्त्व
पृथ्वी तत्व सभी तत्वों में सर्वाधिक महत्त्व रखता है | भूमि पर ही किसी भवन की नींव रखी जाती है | वास्तु में किसी भी अन्य तत्त्व से पहले भूमि की ही भूमिका आती है | सही भूमि के चयन के बाद ही हम भवन निर्माण के दौरान अन्य तत्वों को संतुलित करने पर ध्यान देते है|
यहाँ सवाल ये उठता है कि सही भूमि / प्लॉट का चयन किस प्रकार किया जाए ? तो इस दौरान आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होता है–
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भूखंड की मिटटी की गुणवत्ता
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भूखंड की दिशा
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भूखंड का आकार
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भूखंड का कटाव
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भूखंड का विस्तार
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मार्ग वेध (टी पॉइंट) इत्यादि
पृथ्वी तत्व हमें जीवन में स्थिरता प्रदान करता है | साथ ही पृथ्वी तत्त्व के संतुलन पर जीवन में असीम धैर्य और परिपक्वता भी आती है | यह तत्व करियर में बेहतर नतीजे पाने, रिश्तो में सुधार लाने में भी अति लाभदायक है|
2- जल
जल की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व की सबसे बड़ी और प्राचीन सभ्यताएं नदियों के किनारे ही बसी और विकसित हुई थी | मनुष्य के लिए, सभ्यताओं के लिए, बड़े शहरों-देशों के विकास के लिए, और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए जल एक अति आवश्यक तत्त्व है|
किसी भी भवन में जल तत्त्व के उचित संतुलन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए–
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अंडरग्राउंड वाटर टैंक की दिशा
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ओवरहेड वाटर टैंक की दिशा
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जल के बहने की दिशा
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अन्य जलाशयों की भवन में अवस्थिति
जिस प्रकार से जीवन के लिए शरीर में जल का सही संतुलन आवश्यक है ठीक उसी तरह से घर में भी सात्विक उर्जा के प्रवाह हेतु जल का उचित संतुलन आवश्यक है | किसी भी भवन में जल तत्त्व उत्तर और उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा को शासित करता है|
वास्तु के अनुसार घरों में जलाशय के निर्माण के लिए उत्तर और ईशान दिशा सर्वोतम स्थान है | इन दिशाओं में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुँए, बोरिंग, स्विमिंग पूल आदि बनाये जा सकते है|
वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्त्व का संबध नए और रचनात्मक विचारों, दूरदृष्टि, अच्छे स्वास्थ्य और हीलिंग एनर्जी से होता है | जिन घरों में जल तत्त्व संतुलित होता है उनमे निवास करने वाले ना सिर्फ आर्थिक सम्पन्नता हांसिल करते है बल्कि जीवन को भी बड़े परिप्रेक्ष्य में देखने में समर्थ होते है | इसके साथ ही वे एक स्वस्थ जीवन भी व्यतीत कर पाते है|
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3- अग्नि
इसे उर्जा तत्त्व भी कहते है | शरीर में ऊष्मा की उपस्थिति जीवित रहने के लिए बेहद आवश्यक है | घर में ऊष्मा और प्रकाश की पर्याप्त उपलब्धता रोशनदान, खिड़की, दरवाजों की उचित दिशाओं में व्यवस्था करके सुनिश्चित की जाती है|
ध्यान देने वाली बात है कि जल और अग्नि विपरीत चरित्र के तत्त्व है | अतः भवन निर्माण के वक्त इस बात का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए कि जो स्थान जल के लिए निर्धारित है वहाँ अग्नि से सम्बंधित वस्तुएं न रखी जाए और जो स्थान अग्नि के लिए निर्धारित है वहाँ पर किसी तरह का जलाशय का निर्माण न करा जाए|
क्योंकि ऐसा करने पर दोनों ही तत्व असंतुलित हो जायेंगे और प्रतिकूल उर्जाये घर में निर्मित होंगी जो की घर के सदस्यों को प्रभावित करेगी|
अग्नि तत्त्व के संतुलन के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए–
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किचन का निर्माण सही दिशा में
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अग्नि सम्बंधित वस्तुएं की अवस्थिति (जैसे – इन्वर्टर इत्यादि)
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सूर्य के प्रकाश का पर्याप्त प्रबंध
वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार किसी भवन में अग्नि तत्त्व का सही संतुलन आपको समाज और दुनिया में प्रसिद्धि और पहचान दिलाता है| यह तत्व आपको मानसिक ताकत, आर्थिक सम्पन्नता दिलाता है और साथी ही आत्मविश्वास का भी संचार करता है|
4- वायु
वायु तत्त्व एक ऐसा तत्त्व है जिसे देखा नहीं जा सकता बल्कि केवल महसूस किया जा सकता है | गौरतलब है कि किसी भवन में वायु जिधर से प्रवेश करती है, उसी दिशा से बाहर नहीं निकलती है | इसलिए सभी दिशाओं में वायु के प्रवेश के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए|
वास्तु शास्त्र घर में वायु तत्व के संतुलन के लिए दरवाजों, खिडकियों, रोशनदानों, पेड-पौधों के सम्बन्ध में पर्याप्त मार्गदर्शन करता है | वायु तत्व के संतुलन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें–
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घर में वायु का निर्बाध प्रवाह
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सही दिशाओं में खिडकियों और दरवाजों का निर्माण
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भवन में उचित स्थान को खुला छोड़ना
यह तत्व संतुलित होने पर नए कार्य करने और आयाम खोजने का साहस प्रदान करता है | साथ ही आपको ऐसे लोगो से मिलने का अवसर मिलता है जो कि आपकी प्रगति में आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकते है|
5- आकाश
आकाश तत्व विस्तार, फैलाव, प्रसार का प्रतीक है | ये आकाश ही है जिसमे सितारें, गृह, उपग्रह और अन्य खगोलीय पिंड मौजूद हैं | घर में आकाश तत्व की उपस्थिति से तात्पर्य खुलेपन से है | यानि की घर में जितना खुलापन होगा, प्रकाश की व्यवस्था होगी उतनी ही मात्र में घर में आकाश तत्त्व विद्यमान रहेगा|
चूँकि आकाश तत्त्व ब्रह्मस्थान का प्रतिनिधित्व करता है अतः घर के ब्रह्मस्थान में अगर संभव हो तो छत का कुछ हिस्सा खुला छोड़ना चाहिए जिस प्रकार से पुराने समय में बनने वाले मकानों में घर के बीच में स्थित चौक के ऊपर की छत को खुला छोड़ा जाता था|
वर्तमान समय में सुरक्षा कारणों से अधिकांश घरों में इस तरह की व्यवस्था नहीं मिलती है | तो ऐसे में घर का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए की किसी अन्य स्थान से प्रकाश ना सिर्फ घर के ब्रह्मस्थान में पहुँच सके बल्कि अन्य स्थानों पर भी प्रकाश की मौजूदगी रहे|
जहाँ प्रकाश पहुंचेगा वहाँ पर आकाश तत्त्व की उपस्थिति भी हो ही जायेगी | इसके अलावा भी वास्तु शास्त्र में आकाश तत्त्व के संतुलन को साधने के लिए पर्याप्त उपाय दिए गए है|
आकाश तत्व के संतुलन के लिए निम्न व्यवस्था रखे–
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अगर संभव हो तो ब्रह्मस्थान के ऊपर का कुछ हिस्सा खुला रखे
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घर की प्रत्येक दिशा से आकाश का नजर आना
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प्रकाश की समुचित व्यवस्था
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घर में अँधेरा नहीं रखना (रात्रि विश्राम के समय को छोड़कर)
वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार आकाश तत्व के संतुलित होने पर आपमें अपने भविष्य को सही दिशा में ले जाने की क्षमता आ जाती है, आप अपनी जिन्दगी को बेहतर तरीके से व्यवस्थित कर पाते है | इसके साथ ही आपमें नए अवसरों को पहचानने की समझ भी विकसित होती है|