एक आदर्श भवन के लिए नक्शा
वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखंड खरीदने से लेकर उसे बनाने तक कई तरह की सावधानियां बरतनी आवश्यक है | निम्नलिखित बातें भवन निर्माण के दौरान आपके लिए शुभ और अशुभ साबित हो सकती है | इसे विस्तार से आप इस प्रकार समझ सकते है -
1- प्लाट की दिशा
उत्तरमुखी व पूर्वमुखी दिशा वाले प्लाट बेहतर होते हैं क्योंकि इन पर वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करना अन्य दिशाओं की अपेक्षाकृत अधिक आसान होता है| हालाँकि इसका मतलब यह नहीं होता है कि दक्षिणमुखी या पश्चिम मुखी प्लाट अशुभ होते है | बल्कि वास्तु केस स्टडीज में यह बडे पैमाने पर देखा गया है कि अगर दक्षिण या पश्चिम मुखी मकानों का निर्माण वास्तु सम्मत तरीके से किया गया हो तो इस प्रकार के मकान बेहद आर्थिक सम्पन्नता प्रदान करे वाले होते है | इसके अलावा भूखंडों की दिशा का चयन व्यक्ति के व्यवसाय व बिजनेस की प्रकृति के अनुसार करना अधिक उचित होता है|
लेकिन फिर भी दक्षिणमुखी व पश्चिममुखी भूखंड गृह निर्माण के लिए प्रथम विकल्प नहीं होते है क्योंकि इन पर घर बनाते वक्त वास्तु दोष रह जाने की आशंका अपेक्षाकृत रूप से अधिक होती है | हालाँकि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अगर दक्षिणमुखी व पश्चिममुखी घर भी वास्तु के अनुसार बनाये जाए तो ये भी अन्य दिशाओं के समान ही बहुत शुभ फल प्रदान करने वाले और लाभदायक सिद्ध होते है| अगर आप दक्षिणमुखी या पश्चिममुखी घर में निवास करते है तो नीचे दिए गए आर्टिकल लिंक पर क्लिक करे-
2- प्लाट का आकार
शुभ -
वर्गाकार प्लाट सबसे शुभ होता है | आयताकार प्लाट भी ठीक होता है, हालाँकि लम्बाई-चौड़ाई का अनुपात 1:2 से अधिक नहीं होना चाहिए) | प्लाट बेहद छोटा नहीं होना चाहिए, वरना उसे पूर्णरूप से वास्तु सम्मत बनाना संभव नहीं हो पाता है|
अशुभ -
त्रिभुजाकार, वृताकार, त्रिशुलाकार, कटा हुआ, बढ़ा हुआ या छोटा प्लाट भूस्वामी और उसके परिवार के लिए अच्छा नहीं होता है | (अपवाद – केवल उत्तर-पूर्व दिशा यानि की ईशान का बढ़ा होना काफी शुभ होता है, लेकिन सामान्यतया अन्य कोई भी दिशा बढ़ी हुई नहीं होनी चाहिए)
3- प्लाट का ढलान
शुभ -
उत्तर व पूर्व दिशा की ओर प्लाट का ढलान बेहद शुभ होता है | भवन निर्मित करवाते समय सदैव ही जल का बहाव उत्तर व पूर्व दिशा की ओर ही रखना चाहिए | यह स्वास्थ्य के लिए भी शुभ होता है तो वही इस प्रकार का ढलान धन लाभ भी कराता है|
अशुभ -
दक्षिण दिशा या पश्चिम दिशा का ढलान इतना शुभ नहीं माना जाता है | दक्षिण दिशा में ढलान होना जहाँ गृहस्वामी और घर की स्त्रियों के लिए हानिकारक होता है तो वही पश्चिम दिशा में ढलान गृहस्वामी और घर के पुरुषों के लिए अशुभ होता है|
4- निर्मित स्थान व खाली स्थान का अनुपात
शुभ -
किसी भूखंड पर पर ’निर्मित भाग’ से भी उतना ही लाभ प्राप्त होता है जितना कि उस पर स्थित ‘खाली भूभाग’ से प्राप्त हो सकता है | वास्तु के नियमों के अनुसार किसी भी प्लाट या भूभाग पर 60 प्रतिशत या उससे कम भाग पर निर्माण होना चाहिए | प्लाट अगर छोटा होने के चलते आप इतना स्थान खाली नही छोड़ सकते है तो फिर कोशिश यह होनी चाहिए कि जितना हो सके उतना उत्तर व पूर्व दिशा को खाली छोड़े | इसके अलावा अगर आप को अधिक निर्माण करवाना हो तो आप ग्राउंडफ्लोर की अपेक्षा पहली मंजिल पर निर्माण करवाए तो ज्यादा बेहतर होगा | भूभाग पर निर्माण दक्षिण पश्चिम दिशा में होना चाहिए| [धन और आर्थिक सम्पन्नता के लिए वास्तु टिप्स जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़े - @MoneyVastu]
अशुभ -
उत्तर व पूर्व दिशा में किया गया निर्माण अशुभ होता है | क्योंकि इस स्थान पर निर्माण करने से जहा आप को अशुभ फल तो मिलते ही है वही इस स्थान से मिलने वाले शुभ फलो की भी प्राप्ति नहीं होती है | इसलिए उत्तर-पूर्व खाली छोड़ना चाहिए व दक्षिण-पश्चिम में निर्माण होना चाहिए|
5- भूखंड के आसपास का वातावरण
शुभ -
उत्तर-पूर्व में किसी शुद्ध जलाशय (नदी, झील, तालाब, इत्यादि) की मौजूदगी, दक्षिण-पश्चिम में बड़े टीले, ऊँची इमारत, या अन्य कोई भारी व ऊँचा निर्माण का होना अच्छे फल प्रदान करता है|
अशुभ -
दक्षिण-पश्चिम दिशा में जलाशय की मौजूदगी, किसी प्रकार का गड्ढा विनाशकारी साबित होता है | भूखंड के आसपास शमशान की अवस्थिति, कचरे का ढेर, या अन्य कोई नकारात्मक निर्माण अशुभ होता है | इसके अतिरिक्त प्लाट का तीन तरफ से बहुत ऊँची इमारतो से घिरा होना भी अच्छे परिणाम नहीं देता है|
6- रास्ता या सड़क
शुभ -
किसी भी दिशा के सामने से निकलने वाली सड़क, जो कि ठीक घर पर आकर समाप्त हो रही है, वह उस दिशा के गुण या अवगुण बढ़ा देती है | जैसे की उत्तर दिशा के सामने से निकलने वाली सड़क काफी शुभ होती है | यह गृहस्वामी को मिलने वाले लाभ में वृद्धि कर देती है | इसके अलावा एक और विशेष बात का ध्यान का ध्यान रखा जाना चाहिए कि जहाँ पर आपका भूखंड लेने का विचार हो उस स्थान पर सड़क की चौड़ाई कम से कम 30 फीट होनी चाहिए|
अशुभ -
दक्षिण मुखी या पश्चिम मुखी भूखंड के सामने से निकलने वाली सड़क अशुभ होती है क्योंकि ऐसा होने पर ये उस दिशा के नकारात्मकता में इजाफा कर देती है | अतः ऐसा भूखंड लेने से बचे जिसमे दक्षिण या पश्चिम दिशा के सामने से मार्ग प्रहार हो रहा हो | 30 फीट से कम चौड़ी रोड पर घर लेने से बचे तो बेहतर होगा|
7- मेन डोर
शुभ -
वास्तु में किसी भी भूखंड का विभाजन 32 बराबर भागो या पदों में किया जाता है | इन पदों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है | इन्ही 32 भागो में से 9 भाग ऐसे है जिनमे घर का मुख्य द्वार बनाना बेहद शुभ परिणाम लाता है | वो 9 भाग इस प्रकार है -
उत्तर में मुख्य, भल्लाट और सोम
पूर्व में जयंता और इंद्रा
दक्षिण में गृहरक्षिता और वितथ
पश्चिम में सुग्रीव और पुष्पदंत
अशुभ -
उपरोक्त वर्णित 9 भागो के अलावा शेष बचे अन्य भागों में मुख्य द्वार बनाना नकारात्मक उर्जा को घर में प्रविष्ट कराता है | इनमे भी कुछ द्वार ऐसे है जिनमे किसी भी हालत में मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए | जैसे कि नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में स्थित मुख्य द्वार घर के सदस्यों को बहुत गंभीर परिणाम प्रदान करता है | मुख्य द्वार का वास्तु में बहुत महत्त्व है इसलिए इस द्वार को सही जगह पर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का पुर्णतः पालन किया जाना अतिआवश्यक है| [ आपके घर के मुख्य द्वार का वास्तु जानने के लिए इस आर्टिकल लिंक पर Click करे - @MainGateVastu ]
8- मास्टर बेडरूम
शुभ -
घर के मुखिया का शयन कक्ष यानि कि मास्टर बेडरूम बनाने के लिए नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) व पश्चिम दिशा सर्वश्रेष्ठ है | पृथ्वी तत्त्व (Earth element) की उपस्थिति के कारण दक्षिण-पश्चिम में सोने वाले व्यक्ति में स्थायित्व के साथ ही प्रबलता (Dominance) के गुण भी आ जाते है | इसके अतिरिक्त इस दिशा का सम्बन्ध प्रमुख रूप से आपकी स्किल्स यानी की कार्य करने के कौशल और रिश्तों से होता है| अतः यह दिशा वास्तु सम्मत होने पर आपके रिश्तों और आपकी स्किल्स को बेहतर बनाने का कार्य करती है| इसके अलावा पश्चिम दिशा में बने बेडरूम में सोने से आपके द्वारा की गई मेहनत का सकारात्मक परिणाम प्राप्त होगा| दक्षिण दिशा में भी बेडरूम बनाया जा सकता है | नीचे दिए गए चित्र में आप बेडरूम निर्माण के लिए सटीक डिग्रीज भी देख सकते है |
अशुभ -
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में सोना पुरुषों को कमजोर बनाता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर डालता है | इसलिए इसे मास्टर बेडरूम या परिवार के अन्य किसी भी सदस्य के लिए बेडरूम के लिए प्रयुक्त नहीं करना चाहिए | इसके अलावा पश्चिमी वायव्य (WNW), पूर्वी आग्नेय (ESE) और दक्षिणी नैऋत्य (SSW) भी मास्टर बेडरूम के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है|
9- किचन
शुभ -
आग्नेय तत्त्व की उपस्थिति के चलते किचन हमेशा आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में बनायीं जानी चाहिए | आग्नेय कोण में भी अगर आप किचन को दक्षिणी आग्नेय में निर्मित करते है तो यह अधिक लाभप्रद रहेगा| यह आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के साथ ही आपका आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मददगार रहेगा| किचन के लिए दूसरा विकल्प वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम) है|
अशुभ -
ईशान में किचन वास्तु के सिद्धांतो में पूर्णतः वर्जित है | इसके अलावा अन्य दिशाओं में भी रसोई का निर्माण करना सामान्यतया नकारात्मक प्रभाव प्रदान करता है| [ आपकी किचन का सम्पूर्ण वास्तु जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़े - @KitchenVastu ]
10- गार्डन
शुभ -
उत्तर दिशा व पूर्व दिशा गार्डन के लिए बहुत ही लाभकारी होती है | इन दिशाओं में जितना ज्यादा खुला स्थान होगा उतना ही ज्यादा फायदेमंद होगा | यह धनलाभ और स्वास्थ्य के लिए बहुत शुभ होता है|
अशुभ -
दक्षिण दिशा व पश्चिम में उत्तर व पूर्व दिशा की अपेक्षा गार्डन या ज्यादा खुला स्थान नहीं होना चाहिए | इन दिशाओं में खुला स्थान रखना अगर आपके लिए किसी कारणवश जरुरी है तो आप रख सकते है लेकिन इसके लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह से ही काम करें तो बेहतर होगा| ताकि दक्षिण व पश्चिम के अतिरिक्त अन्य दिशाओं में भी असंतुलन की स्थिति उत्पन्न न हो|
11- अंडरग्राउंड वाटरटैंक
शुभ -
ईशान में अंडरग्राउंड टैंक बनाना ईशान दिशा के गुणों में और भी वृद्धि कर देता है और घर में स्वास्थ्य व सम्रद्धि के लिए अति लाभदायक होता है| हालाँकि अंडरग्राउंड वाटर टैंक के निर्माण के लिए ईशान दिशा में भी सबसे बेहतर विकल्प उत्तरी ईशान व पूर्वी ईशान होते है| इसके अलावा पूर्व दिशा भी इसके लिए उपयुक्त है|
अशुभ -
घर में दो स्थान ऐसे होते है जहाँ अंडरग्राउंड वाटरटैंक या किसी भी प्रकार के भूमिगत जलाशय का होना नुकसानदेह होता है| इनमे पहला स्थान है नैऋत्य व दूसरा स्थान है ब्रह्मस्थान| ऐसे भवन में किसी भी हालत में नहीं निवास नहीं करना चाहिए जहाँ पर इन दोनों स्थानों में से किसी में भी अंडरग्राउंड वाटरटैंक या भूमिगत जलाशय उपस्थित हो|
12- टॉयलेट
शुभ -
टॉयलेट का निर्माण बेहद सावधानी से करना जरुरी है| गलत स्थान पर इसका निर्माण स्वास्थ्य के साथ ही आर्थिक रूप से भी हानिकारक होता है| दक्षिणी नैऋत्य, पश्चिमी वायव्य और पूर्वी आग्नेय टॉयलेट बनाने के लिए उपयुक्त स्थान है|
अशुभ -
ठीक पश्चिम दिशा [259° - 281°] में टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए| यहाँ पर बने टॉयलेट के चलते आपके द्वारा निवेश किये गए धन से आपको लाभ नहीं होगा और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है| वही उत्तर दिशा में टॉयलेट के लिए कोई भी स्थान बेहद नुकसानदायक होता है|
13- सीढियां
शुभ -
दक्षिण व पश्चिम दिशा में अंदर की तरफ सीढियां बनायीं जा सकती है और नैऋत्य व पूर्वी आग्नेय में बाहर की ओर सीढियां बनाई जा सकती है | वही वायव्य में अंदर व बाहर दोनों ही तरफ सीढ़ियों का निर्माण किया जा सकता है| सीढियां बनाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि वह क्लॉक वाइज है या एंटी-क्लॉक वाइज|
अशुभ -
किसी भी तरह का भार उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में दोष ला देता है | सीढ़ियों का निर्माण भी इस दिशा को भारी कर देता है अतः ईशान में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए | साथ ही ब्रह्मस्थान भी सीढ़ियां बनाने के लिए निषिद्ध है|
[ अन्य बेहद महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे - @VastuTips ]
Ravi
Very nice
Rajkumar Vijayvargiya
आदरणीय सर, आपको नमस्कार आपके लेख को मैंने पढ़कर अनुभव जो प्राप्त हुआ उसका मैं बहुत आपका आभारी हूं प्रणाम स्वीकार करें
Vijay Kudi [Secret Vastu Consultant]
प्रणाम राजकुमार जी, प्रशंसा के लिए धन्यवाद|
Sanjeev kumar Prajapati
Paschim mukhi Ghar ka nirman 36×36
Amit Subhash Tihile
सर 🙏. आपके लेख बहुत अच्छे है। क्या आप वास्तु शास्त्र के उपर प्रशिक्षण देते है?
Vijay gupta
Samaj ke liye behtreen karya kiye apne thanx