“प्रार्थना का अर्थ मांगना नहीं,
बल्कि जो मिला है उसके प्रति,
आभार प्रकट करना है |”
— ओशो —
घर में स्थित पूजा घर या प्रार्थना स्थल घर का सबसे पवित्र स्थान होता है | अतः इसकी पवित्रता बरक़रार रखने के लिए भी हमें यथोचित प्रबंध करना चाहिए | वास्तु शास्त्र इसमें आपके लिए सबसे मददगार साबित होगा | इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस धर्म को मानते है, वास्तु के नियम सभी के लिए और सभी जगह लागू होते है क्योंकि ये प्राकृतिक नियम है जो कि वातावरण में उपस्थित शक्तियों में संतुलन व सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से बनाये गए है |
अतः आप वास्तु के सिद्धांतो का पालन करके आपके घर में स्थित पूजा स्थल को सात्विक उर्जाओं से युक्त और पवित्रतम स्थान बना सकते है | तो आइये जानते है कि घर में पूजा स्थल बनाते वक्त क्या सावधानियां रखनी चाहिए |
पूजा स्थल बनाते वक्त क्या करे—
1. घर में पूजा स्थल के लिए सबसे पवित्र और श्रेष्ठ दिशा ईशान (उत्तर-पूर्व) होती है|
2. पूर्व में भी पूजा स्थल बनाया जा सकता है|
3. उत्तर दिशा भी पूजा घर बनाने के लिए उत्तम है|
4. पूर्व दिशा में मुंह करके पूजा करे|
5. पूजा करते समय उत्तर दिशा में भी मुंह रखा जा सकता है|
6. पूजाघर के लिए पिरामिड आकार की छत बनायीं जा सकती है|
7. पूजाघर में कम सामान रखे और इसे अधिकाधिक खाली रखे|
8. इसका द्वार पूर्व या उत्तर की ओर रखे|
9. पूजाघर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में दीप रखे|
10. पूजा स्थल के ब्रह्मस्थान को खाली रखे|
11. इस स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा में हरा-भरा पौधा या गुलदस्ता रखे|
12. प्रकाश और हवा की समुचित व्यवस्था रखे|
13. धार्मिक ग्रंथो, पूजा की सामग्रियों को नैऋत्य, दक्षिण दिशा या पश्चिम की ओर रखे|
पूजाघर बनाते वक्त क्या ना करे –
1. नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में पूजा घर ना बनाये|
2. दक्षिण में भी पूजा घर बनाना ठीक नहीं है|
3. मूर्तियाँ प्रवेश द्वार के ठीक सामने ना रखे|
4. टूटी-फूटी, जीर्ण-शीर्ण मूर्तियाँ पूजास्थल पर रखना नकारात्मक होता है|
5. प्राचीन मंदिरों से लाई गई मूर्तियाँ पूजाघर में ना रखे|
6. महाभारत की, युद्ध की, पशु-पक्षियों की तस्वीरें पूजाघर या अन्य कही भी न लगाये|
7. पूजास्थल के ब्रह्मस्थान में किसी प्रकार का निर्माण न करे या भारी वास्तु ना रखे|
8. अत्यधिक मूर्तियाँ न रखे | सर्वोतम हो अगर बिना मूर्ति के निराकार में ध्यान लगाये|
9. घर में किसी बड़ी प्रतिमा की स्थापना करना सही नहीं है|
10. बेडरूम में पूजा करना वास्तु के सम्मत नहीं है|
पूजा, ध्यान, प्रार्थना, इबादत बेहद पवित्र कार्य है, इसके लिए एक निर्धारित स्थान होना चाहिए जिसे अन्य किसी प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए | क्योंकि जब आप एक निर्धारित स्थान पर प्रतिदिन पूजा या ध्यान करेंगे तो उस स्थान पर एक विशेष प्रकार की उर्जा निर्मित होनी शुरू हो जाती है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब वह पूजा स्थल सही दिशा, व्यवस्थित तरीके से बना होगा | अतः पूजाघर बनाते वक्त वास्तु के नियमो का पालन करे |