नैऋत्य दिशा वास्तु कंपास में 202.5° से 247.5° के बीच स्थित होती है | नैऋत्य कोण दक्षिण व पश्चिम दिशा के बीच में स्थित एक महत्वपूर्ण दिशा है | राहु इस दिशा का स्वामी ग्रह है | राहु को एक छायाग्रह के रूप में जाना जाता है | नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) में पड़ने वाली सौर किरणों की प्रकृति राहु के समान होती है |
दोपहर के बाद और सांध्यकाल में सूर्य से निकलने वाली रेडियोधर्मी किरणे नैऋत्य कोण में पड़ती है | ये रेडियोंधर्मी किरणें अत्यधिक हानिप्रद होती है | फलतः नैऋत्य में भारी व ठोस दीवारों का निर्माण कराया जाता है और वही ईशान दिशा को वास्तु शास्त्र के अनुसार बिलकुल खुला रखा जाता है क्योंकि ईशान कोण सूर्य की सबसे लाभदायक और शुभ पराबैंगनी किरणों को प्राप्त करने वाला पहला स्थान होता है|
घर की दिशा का पता लगाना -
जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो घर के नैऋत्य दिशा में स्थित हो तो आपका घर नैऋत्यमुखी कहलाता है | [ वास्तु कम्पास से घर की सही दिशा जानने का सरल तरीका यहाँ पढ़े - secretvastu.com/finding-directions ]
हम इस लेख में निम्न चीज़ों का अध्ययन करेंगे–
1- नैऋत्यमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान
2- नैऋत्यमुखी घर के लिए शुभ वास्तु
3- नैऋत्यमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु
नैऋत्यमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान –
मुख्य द्वार की अवस्थिति का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है | इस महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र में एक भूखंड को 32 बराबर भागों या पदों में विभाजित किया जाता है | इन 32 भागों में से कुल 9 पद बेहद शुभ होते है जिन पर मुख्य द्वार का निर्माण उस घर के निवासियों को कई प्रकार के लाभ पहुंचाता है |
यहाँ एक ध्यान देने वाली बात है कि किसी भी भवन में diagonal दिशाओं (ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य) में मुख्य द्वार नहीं बनाना चाहिए | नैऋत्यमुखी भवन में दक्षिण के तीसरे व चौथे पद या फिर पश्चिम के 4, 5 पद में ही मुख्य द्वार बनाना चाहिए | [ मुख्य द्वार का वास्तु जानने के लिए इसे पढ़े - secretvastu.com/main-gate-vastu ]
नैऋत्यमुखी घर के लिए शुभ वास्तु –
1- यदि घर में एक से अधिक बेडरूम की व्यवस्था है तो निश्चित तौर पर मास्टर बेडरूम यानि की घर के मुखिया के लिए बेडरूम की व्यवस्था नैऋत्य दिशा में ही होनी चाहिए |
2- यदि नैऋत्य दिशा में प्राकृतिक रूप से ऊँचा टीला, बड़े वृक्ष या कोई अन्य ऊँची प्राकृतिक संरचना हो तो वह उस घर के निवासियों के लिए शुभ होती है | नैऋत्य दिशा ऊँची होने पर व्यक्ति आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना से भरा रहता है |
3- घर में प्रयुक्त जल के बहाव की दिशा उत्तर-पूर्व की ओर ही होनी चाहिए, लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हो तो पहले पानी को बहाकर ईशान की ओर ले जाए और फिर पूर्वी दीवार के सहारे पानी को दक्षिणी आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) से बाहर निकालने की व्यवस्था कर दे |
4- भंडार गृह के रूप में भी नैऋत्य दिशा में स्थित कक्ष का इस्तेमाल किया जा सकता है |
5- इस दिशा में भारी सीढ़ियों का भी निर्माण किया जा सकता है |
6- नैऋत्यमुखी घर में ईशान दिशा में नैऋत्य से अधिक खाली स्थान की व्यवस्था करें | उत्तर व पूर्व दिशा में वेंटीलेशन और प्रकाश की उचित व्यवस्था करे |
7- घर में अन्य बेडरूम के लिए स्थान उपलब्ध होने पर उनका निर्माण पश्चिम और वायव्य दिशा में भी किया जा सकता है | पश्चिम दिशा बच्चो के बेडरूम के लिए बेहतर है तो वही वायव्य दिशा में गेस्ट बेडरूम बनाया जा सकता है |
नैऋत्यमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु –
1- नैऋत्य कोण का भूखंड में आगे निकला होना कई प्रकार के अशुभ परिणाम लेकर आता है | यह गृहस्वामी को आर्थिक हानि करने के साथ-साथ कर्जदार भी बना देता है और गृहस्वामी का इस परिस्थिति से निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है |
2- नैऋत्य कोण की दिशा में ढलान वाले बरामदों का निर्माण ना करें | घर में प्रयुक्त जल का बहाव नैऋत्य की ओर से नहीं होना चाहिए |
3- दक्षिणी-नैऋत्य या पश्चिमी-नैऋत्य में मुख्य द्वार का निर्माण करना बहुत बड़ा वास्तु दोष होता है | इस प्रकार का वास्तु धनहानि, मानसिक तनाव, अपयश, सर्जरी, पक्षपात और आकस्मिक दुर्घटनाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है | इन दिशाओं में मुख्य द्वार का निर्माण करना आत्मघात करने के समान है |
4- चूँकि दक्षिण-पश्चिम दिशा में गड्ढा करना वास्तु सम्मत नहीं होता है, इसलिए इस दिशा में अंडरग्राउंड वाटरटैंक, सेप्टिक टैंक, बोरवेल इत्यादि का निर्माण नहीं करें |
5- नैऋत्य दिशा में शौचालय का निर्माण करना वास्तु सम्मत नहीं होता है |
6- बच्चों के बेडरूम के लिए नैऋत्य दिशा उपयुक्त नहीं है | यह बच्चों को कम आज्ञाकारी बनती है | नैऋत्य का तमस गुणयुक्त होना भी बच्चो के बेडरूम के लिए इस स्थान को अनुपयोगी बनाता है | मास्टर बेडरूम के लिए ही यह सर्वाधिक उपयुक्त है |
7- नैऋत्य दिशा में मार्ग प्रहार वाला भूखंड किसी भी हाल में नहीं खरीदे | इस प्रकार का भूखंड नकारात्मक उर्जा में अत्यधिक वृद्धि कर देता है |
अन्य सावधानियां–
1- कई बार ईशान कोण को बढ़ाने के चलते आग्नेय कोण और वायव्य कोण असंतुलित हो जाते है | जिसका असर कई बार नैऋत्य दिशा पर भी पड़ता है और यह भी दोषयुक्त हो जाती है | ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि घर में किसी भी प्रकार का फेरबदल करते वक्त यह सावधानी रखी जाए कि नैऋत्य दिशा में किसी प्रकार का असंतुलन उत्पन्न न हो जाए |
2- निर्माण के समय इस बात का विशेष ख्याल रखे कि चारों दिशाओं की ऊंचाई क्रमशः नैऋत्य, आग्नेय, वायव्य और ईशान की ओर घटते हुए क्रम में रखे | यानि कि घर में नैऋत्य जहाँ सबसे अधिक ऊँचा होना चाहिए वही ईशान कोण सबसे नीचा (ईशान को बिलकुल खाली छोड़ दे तो सर्वश्रेष्ट परिणाम प्राप्त होंगे) होना चाहिए |
3- यदि नैऋत्य में स्थित भूखंड में कोई बड़ा गड्ढा हो, बड़ा जलाशय (तालाब, कुआँ, इत्यादि) बना हो, यह ढलानदार हो तो इस प्रकार का भूखंड वास्तु दोषयुक्त होता है और ऐसे में इस प्रकार का भूखंड खरीदना सर्वथा अनुचित होगा |
4- आपके घर के नैऋत्य में स्थित भूखंड अगर बिलकुल सस्ते में भी मिल रहा हो तो भी किसी भी हालत में इसे अपने भूखंड में ना मिलाये|
ईशान और नैऋत्य दोनों ही विपरीत दिशाओं में स्थित दो महत्वपूर्ण दिशाएं है | ये दोनों दिशाएं ना सिर्फ एक दुसरे के विपरीत स्थित है बल्कि निर्माण के वक्त भी दोनों में एक दुसरे के विपरीत प्रकृति का निर्माण होता है | जैसे कि – ईशान को जहाँ खाली छोड़ना शुभ होता है तो वही नैऋत्य में निर्माण करना आवश्यक होता है, जहाँ ईशान दिशा का नीचा होना अच्छे परिणाम लाता है तो वही नैऋत्य दिशा का ऊँचा व भारी होना घर के सदस्यों के लिए लाभदायक होता है |
हालाँकि दोनों ही दिशाओं में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष गंभीर नतीजें प्रदान करने वाला होता है | अतः यह आवश्यक हो जाता है कि गृहनिर्माण के वक्त जितना ध्यान ईशान पर दिया जाता है उसी प्रकार से ध्यानपूर्वक नैऋत्य में भी वास्तु सम्मत निर्माण कराया जाए | कहा जा सकता है कि जिस व्यक्ति ने ईशान और नैऋत्य को वास्तु सम्मत बनाया है उसके लिए भाग्य के द्वार खुल जाते है |
Rajesh Bahuguna
मेरी भूमि का अग्र स्थल (Front) दक्षिण-पश्चिम है, फिर घर कैसे बनाया जाए। यह अन्य तीन तरफ से बंद है।
Sanjay Kudi [Secret Vastu Consultant]
Hello Rajesh Ji, आपके घर का मुख्य द्वार और अन्य स्थान निर्धारित करने के लिए, सबसे पहले आपके घर के फेसिंग की डिग्री सुनिश्चित की जानी आवश्यक है| इसके बाद ही आपके घर के 16 वास्तु ज़ोन्स की ग्रिडिंग आप कर सकते है, जिससे कि घर के अलग-अलग स्थानों और कमरों को वास्तु सम्मत बनाया जा सकता है| इस संबंध में वेबसाइट पर जानकारियां उपलब्ध करायी गई है| आप इस आर्टिकल [https://secretvastu.com/single/vastu-for-home/] को पढ़ सकते है, जिसमे घर के वास्तु सम्बन्धी अन्य महत्वपूर्ण आर्टिकल्स के लिंक भी दिए गए है|
Pallavi
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